Thursday, 22nd May 2025

आप रहें सतर्क:राजधानी में सोशल मीडिया एप पर साइबर धोखेबाजों का वार, नंबर-डेटा हैक होने की शिकायतें

Sat, Jan 2, 2021 7:48 PM

  • लोग अब अंजान या संदिग्ध नंबर नहीं उठाते लेकिन एप पर भरोसा है, इसलिए एप के जरिए जालसाजी, इसके लिए रिजर्व बैंक ने भी किया एलर्ट
 

ज्यादातर लोग फर्जी फोन कॉल से परेशान ट्रू काॅलर में फ्राड या स्कैम लिखने लगे हैं और धोखे से बच गए हैं, लेकिन साइबर ठगों ने इसका नया तोड़ निकाल लिया है। वे सोशल मीडिया के सर्वाधिक चर्चित एप पर काॅल कर लोगों से ठगी करने लगे हैं। ऐसे जालसाज अब लोगों को अंजान नंबरों से लिंक भेज रहे हैं। जाने-अंजाने में इस लिंक को क्लिक करते ही एप का डेटा के साथ फोन बुक और बैंक खाते भी हैक हो जा रहे हैं। इसके कुछ दिन बाद ऑनलाइन ही खाते खाली होने लगे हैं।

राजधानी में भी ऐसी दो शिकायतें आई हैं, जिनकी जांच शुरू हुई, तब यह नया फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। खातों से जानकारी भी हैक हो जाती है। इससे ऑनलाइन ठगी करने वाले लोग कुछ मिनटों में ही खातों से भी पूरी रकम पार कर देते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने भी एडवायजरी जारी कर दी है कि सोशल एप पर अंजान लिंक को क्लिक या शेयर करने से बचना चाहिए। सायबर मामलों से जुड़े अफसरों के अनुसार यह ठगी का बिल्कुल नया तरीका है। दरअसल अब लोग कई तरह के फोन कॉल और मैसेज को इग्नोर कर रहे हैं। इसलिए ठगी करनेवालों ने एप काॅलिंग को चुना है, क्योंकि लोग इसे सेफ मानते हैं। इस वजह से एप पर ऐसे कॉल या मैसेज आने से लोगों को तुरंत शक नहीं होता और ठग पूरा खाता साफ कर रहे हैं। इसीलिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी ऐसे कॉल को लेकर गाइडलाइन जारी कर कहा है कि सोशल एप पर अंजान लिंक को क्लिक या शेयर नहीं करें।

टू-स्टेप वेरिफिकेशन करें अनेबल, अज्ञात एप ग्रुप से तुरंत एक्जिट

  • सोशल एप पर आए ओटीपी को शेयर न करें।
  • अज्ञात सोशल मीडिया एप ग्रुप से फौरन बाहर हो जाएं।
  • टू स्टेप वेरिफिकेशन को तुरंत अनेबल कर दें।
  • अंजान नंबरों से आए लिंक को क्लिक न करें।

एप फ्रॉड यहां इसलिए ट्रेस नहीं क्योंकि मुख्यालय ही देश में नहीं
सायबर एक्सपर्ट का कहना है कि एप किसने-कहां से हैक किया, यह पता लगाना आसान नहीं है। क्योंकि एप की ओर से पुलिस या अन्य सरकारी जांच एजेंसियों को जालसाजों के आईपी लॉग्स का डीटेल शेयर नहीं होता। देश में एप का दफ्तर नहीं है, इसलिए वे कानूनी एजेंसियों को भी सपोर्ट नहीं करते। फिलहाल यहां के डेटा लेने के लिए भारतीय एजेंसियों को विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया ग्रुप में खतरा ज्यादा
सायबर पुलिस के मुताबिक हैकर के लिए ग्रुप हैक करना ज्यादा कठिन नहीं है। फिर इंटरनेट यूजर नंबर पर भेजे गए ओटीपी को ठग यह बताकर जान लेते हैं कि वे किसी कंपनी से जुड़े हैं। देश के बड़े शहरों में ऐसी शिकायतें भी आई हैं कि कुछ ठगों ने ग्रुप के वास्तविक एडमिन को हटाया और खुद एडमिन बन गए, फिर उस ग्रुप के सारे नंबरों की जानकारियां इकट्ठा कर लीं।

"कॉलिंग और मैसेंजर से जालसाजों ने ऑनलाइन ठगी शुरू कर दी है। ग्रुप के सभी नंबरों की जानकारी हैक कर खाते से रकम भी पार हो रही है, इसलिए अंजान ग्रुप या नंबरों से बचें।"
-रमाकांत साहू, प्रभारी सायबर सेल

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery