छत्तीसगढ़ में सरकारी धान खरीदी बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। इसको लेकर राज्य और केंद्र सरकार में ठनी हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर समाधान का आग्रह किया है। इस बीच भाजपा विधायक दल के नेता धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने जितना चावल लेने की सहमति दी थी, उसमें से 28 लाख मीट्रिक टन चावल 30 सितंबर 2020 तक जमा करना था। राज्य सरकार यह चावल जमा नहीं कर पाई है। सरकार ने अक्टूबर और नवम्बर में समय मांगा था। अब वह दिसम्बर में भी वैसी ही अनुमति मांग रही है।
धरमलाल कौशिक ने दावा किया, एफसीआई के गोदाम में अभी भी छह लाख मीट्रिक टन चावल रखने की जगह है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार पर मदद नहीं करने का आरोप लगाना गलत है। राज्य सरकार ने धान खरीदी ही एक माह विलंब से शुरू किया है। समितियों को जाम करके रखा गया है। अब किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने धान खरीदी चालू रखने की मांग की है। उन्होंने कहा, समितियों में जाम चावल को कस्टम मीलिंग के लिए भेजकर खाली करवाना चाहिए। ताकि समितियों के पास जगह बचे।
भाजपा के आरोपों ने सरकार के धान खरीदी और कस्टम मीलिंग के प्रबंधन पर भी सवालिया निशान उठा दिए हैं। फिलहाल धान की खरीदी बंद होती दिख रही है। इसने कांग्रेस और भाजपा की सियासी लड़ाई का रूप ले लिया है। खतरनाक यह है कि इस सियासत में नुकसान किसान का होने वाला है।
पूछा, जब वादा किया तो सांस क्यों फूलने लगी
नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में 2500 रुपया प्रति क्विंटल दाम देने का वादा किया था। अब सरकार की सांस क्यों फूल रही है। उन्होंने कहा, सरकार ने खरीदी का इंतजाम ठीक से नहीं किया। अब मुख्यमंत्री और उनके मंत्री लगातार झूठ बोलकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं।
खाद्य मंत्री ने बताया गलतफहमी पैदा करने वाली बात
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के आरोपों को गलतफहमी पैदा करने वाली बात कहा है। उन्होंने कहा, नेता प्रतिपक्ष से आग्रह है कि कभी-कभी किसानों के पक्ष में भी बयान जारी कर दिया करें। केवल गलतफहमी पैदा करने वाली बातों से बचें। इससे छत्तीसगढ़ का भला होने वाला नहीं है।
भगत ने कहा, एफसीआई में जैसे-जैसे स्पेस बना वैसे-वैसे चावल जमा होता रहा। प्रदेश की मीलिंग क्षमता उसना चावल बनाने में कम है। यहां अरवा चावल ज्यादा बनता है, लेकिन केंद्र सरकार ने हमको उसना की अधिक मात्रा देने को कहा है, इसकी वजह से विलंब हुआ है। अभी तो एफसीआई में चावल जमा करने का आदेश ही नहीं आया है।
इस वजह से मचा हुआ है बवाल
राज्य सरकार ने एक दिसम्बर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू की है। 90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य है। इससे बने 60 लाख मीट्रिक टन चावल को केंद्रीय पूल में जमा किया जाना है। लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक एफसीआई को इसके आदेश जारी नहीं किए हैं।
एफसीआई में चावल जमा नहीं होने से प्रदेश के खरीदी और संग्रहण केंद्रों में जाम की स्थिति बन गई है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया, बुधवार शाम तक 48 लाख मीट्रिक धान की खरीदी की गई है। अब तक राज्य के 12 लाख 40 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा।
विभाग ने मिलरों को 14 लाख 58 हजार 601 मीट्रिक टन धान का डीओ जारी किया गया है। मिलरों ने इसमें से 11 लाख 19 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव किया है। मतलब 37 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी और संग्रहण केंद्रों में ही पड़ा हुआ है। कस्टम मीलिंग के बाद बना चावल भी राइस मिलों में ही पड़ा है क्योंकि एफसीआई इसे जमा नहीं कर रहा है।
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