सरकार की मेक इन इंडिया योजना की पोल खुलती नजर आ रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, सरकारी खरीद में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भेदभाव और प्रतिबंधात्मक शर्तों के कारण 40 हजार करोड़ रुपए के टेंडर्स को या तो कैंसल कर दिया गया या फिर उन्हें संशोधित किया गया।
2020 की उपलब्धियां गिनाई मंत्रालय ने
शुक्रवार को साल 2020 की उपलब्धियां मंत्रालय ने जारी की। इस दौरान मंत्रालय ने यह भी कहा कि 500 जिलों की निर्यात क्षमता वाले अनूठे उत्पादों की पहचान की गई है। इसने कहा कि लगभग 47 बिलियन डॉलर के आयात मूल्य वाले उत्पादों पर टेक्निकल रेगुलेशन (टीआरएस) तैयार किए गए थे। यह इसलिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कम क्वालिटी वाले और हानिकारक उत्पाद बाजार में प्रवेश न करें।
173 वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाया गया
मंत्रालय ने कहा कि 173 वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया था और 44 वस्तुओं का आयात या तो रोक दिया गया या इस पर प्रतिबंधित लगाया गया। भेदभाव और प्रतिबंधात्मक शर्तों के कारण 40 हजार करोड़ रुपए के टेंडर रद्द और संशोधित किए गए। स्टार्टअप्स के लिए 4905 पेटेंट आवेदनों को 80 प्रतिशत छूट और 12,264 ट्रेडमार्क आवेदनों के फाइलिंग फीस पर 50 प्रतिशत की छूट दी गई।
अच्छा खासा प्रचार
बता दें कि देश में मेक इन इंडिया का शुरुआत में अच्छा प्रचार प्रसार किया गया। इस पर काफी कुछ सरकार की ओर से भी किया गया। पर तमाम शर्तों के कारण इसमें कंपनियों की दिलचस्पी उतनी नहीं रही है। यही कारण है कि सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।
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