मध्यप्रदेश में कोरोना की देसी वैक्सीन के ट्रायल में पहला डोज देने का अभियान 21 दिसंबर को समाप्त हो गया। अब तक 1700 ये अधिक वॉलंटियर्स को टीके लगाए गए हैं। अब दूसरा चरण पहला डोज देने के 28 दिन बाद 25 दिसंबर से शुरू होना था, लेकिन अब पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ने इसे एक दिन आगे खिसकाकर 26 दिसंबर कर दिया है।
असल में, पहले दिन जिन 7 लोगों को COVAXIN का पहला डोज दिया गया था, उनकी ट्रायल के बाद फीड बैक लेने के लिए जो डायरी दी गई थी, उसमें 25 दिसंबर तारीख दर्ज की गई थी, लेकिन 21 दिसंबर को पहले डोज का ट्रायल खत्म होने के बाद 22 दिसंबर को उन सभी सातों वॉलंटियर्स को मेडिकल कॉलेज की तरफ से फोन करके कहा गया है कि वह 25 दिसंबर के बजाय 26 दिसंबर को ट्रायल का दूसरा डोज लगवाने आएं। हालांकि ऐसा क्यों किया गया, यह वॉलंटियर्स से स्पष्ट नहीं किया गया है।
इस संबंध में जब दैनिक भास्कर ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अनिल दीक्षित से पूछा कि दूसरे डोज के लिए तारीख को एक दिन आगे क्यों कर दिया गया, इस पर उन्होंने कहा कि पहले डोज के बाद 28 दिन से कम नहीं होना चाहिए, उससे ज्यादा हो जाएं तो कोई दिक्कत की बात नहीं है। डॉ. दीक्षित ने कहा कि हमें खुशी है कि देश के लिए हो रहे एक महत्वपूर्ण काम में भागीदारी देने के लिए हमारे संस्थान को चुना गया। और इसमें बड़ी संख्या में लोग वॉलंटियर बनकर आए और पहला डोज उत्साहपूर्वक लगवाया।
27 नवंबर को शुरू हुआ था ट्रायल
राजधानी भोपाल में 27 नवंबर से कोरोना के टीके (COVAXIN) का थर्ड फेज का ट्रायल शुरू हुआ था, जिसमें पहले दिन 7 लोगों को डोज दिए गए थे। बीच में ऐसी भी खबरें आईं कि टीका लगवाने के लिए वॉलंटियर्स आगे नहीं आ रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे लोग जागरूक हुए और अब संख्या इतनी हो गई कि पीपुल्स मेडिकल कॉलेज को कहना पड़ा कि अब ट्रायल नहीं हो रहा है। बीच में कई लोग रिजेक्ट भी हुए हैं, क्योंकि जिन्हें पहले कोरोना हुआ था या जिनके परिवार में कोई का पेशेंट रहा होगा, उन्हें टीके का डोज नहीं दिया गया।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी हो गए रिजेक्ट
COVAXIN का पहला डोज लेने के लिए वॉलंटियर्स की कमी की खबरों के बीच नरोत्तम मिश्रा भी ट्रायल कराने के लिए पीपुल्स मेडिकल कॉलेज पहुंचे। लेकिन उन्हें टीके का पहला डोज नहीं दिया गया, क्योंकि उनके परिवार में कोरोना का संक्रमण हो चुका था।
रजिस्ट्रेशन के बाद पहला डोज देने की प्रोसेस
काउंसलिंग- रजिस्ट्रेशन कराने के बाद सबसे पहले वालंटियर्स की काउंसलिंग होती है, इसमें दो काउंसलर को लगाया गया है। इस दौरान 18 पेज का कंसेंट लेटर भरवाया जाता है।
हेल्थ असेसमेंट- यहां पर काउंसिलिंग के बाद वॉलंटियर्स के स्वास्थ्य का पूरा परीक्षण किया जाता है। साथ ही कोरोना टेस्ट भी करते हैं। यहां पर दो डॉक्टरों और दो नर्स की टीम है।
वैक्सीनेशन- दो प्रोसेस गुजरने के बाद आखिर में टीके का डोज लगाया जाता है। इसके लिए एक डॉक्टर और चार नर्सेस को लगाया गया है।
वॉलंटियर का एक साल तक ऑब्जर्वेशन होगा
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में चल रहे ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. राघवेंद्र गुमास्ता ने बताया कि वॉलंटियर्स को टीके के दोनों डोज देने के बाद एक साल तक ऑब्जर्वेशन और फॉलोअप किया जाएगा। इसमें पहले 28 दिन तक हर रोज फीडबैक लिया जाएगा। दूसरा डोज देने के एक महीने बाद तक हर सात दिन में फीडबैक और फालोअप लिया जाएगा। इसके बाद हर महीने उन्हें अस्पताल बुलाकर उनकी जांच पड़ताल की जाएगी। इस दौरान वैक्सीन का किसी भी तरह का प्रभाव पड़ा या वॉलंटियर बीमार हुआ तो संस्थान उनका मुफ्त इलाज करेगा।
तीन महीने तक हर रोज डायरी में लिखेंगे रूटीन
वैक्सीन ट्रायल में जिन वॉलंटियर्स को टीके का डोज दिया जा रहा है। उनकी एक साल तक निगरानी होगी। इस प्रोसेस में तीन महीने के लिए एक नोटबुक वॉलंटियर्स को दी गई है, जिसमें वह हर रोज अपना रूटीन लिखेंगे। इसके आधार पर वैक्सीन के असर का एनालिसिस किया जाएगा। इसके साथ ही हर रोज का फीडबैक लिया जाएगा।
दोनों डोज देने के 14 दिन बाद पता चलता है प्रभाव
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