भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विदेशी बैंकों के चालू खाता (करेंट अकाउंट) खोलने पर हाल ही में प्रतिबंध लगाने के बाद ICICI बैंक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक नया ऑनलाइन विंडो खोल रहा है। इसके जरिए ICICI बैंक चीन के विकल्प के रूप में देश की क्षमता का लाभ उठाना चाहता है। साथ ही विदेशी बैंकों के सामने आने वाली चुनौतियों का फायदा भी उठाना चाहता है।
एफडीआई का पसंदीदा है भारत
बैंक की कार्यकारी निदेशक (ईडी) विशाखा मुले ने कहा कि भारत में मजबूत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और देश के युवा डेमोग्राफिक प्रोफाइल बहुत ही अच्छे हैं। विदेशी निवेश के लिए भारत को एक आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के सरकारी उपायों से बैंक को विदेशी बैंकों से बाजार हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिलेगी।
चीन का दबदबा कम हो रहा है
चीन के साथ भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है लेकिन हाल ही में चीन का दबदबा कम हो रहा है। मुले ने कहा कि भारत में विकसित किया गया डिजिटल इकोसिस्टम है जो लंबे समय में शासन और पैरामीटर्स में सुधार करने में मदद करेगा। ट्रेजरी, फॉरेक्स, लोन, लेटर्स ऑफ क्रेडिट और बैंक गारंटी जैसी बैंकिंग सेवाओं के अलावा यह बैंक एक बिजनेस इकाई, कॉर्पोरेट फाइलिंग, लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन, एचआर सेवाओं, कंप्लायंस और टैक्स जैसी सलाहकार और अन्य सेवाएं भी ऑफर करेगा।
देश में चार से पांच हजार बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं
ICICI बैंक का अनुमान है कि भारत में करीब 4000 से 5000 बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं। इनमें से 1500 बैंक के क्लाइंट हैं। बैंक को इन सेवाओं से चार्ज और कमीशन मिलने की उम्मीद है जो सीधे बैंक के ऑपरेटिंग फायदे को बढ़ाएगा। इन कंपनियों को क्रेडिट की जरूरत नहीं है। क्रेडिट को हम केवल एक संख्या के रूप में देखते हैं। मुले ने कहा कि हम उन्हें मंजूरी मिलने और नियमों को समझने में मदद करके सिस्टम को नेविगेट करने में मदद करना चाहते हैं।
चुनौती के रूप में होगा यह कदम
ICICI बैंक का यह नया क़दम बहुराष्ट्रीय बिजनेस के लिए सिटी बैंक, एचएसबीसी, बैंक ऑफ अमेरिका, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, डीबीएस और जेपी मॉर्गन को चुनौती देगा। यह अगस्त में आए आरबीआई के एक सर्कुलर के बाद हुआ है। इस सर्कुलर में कहा गया था कि जिन बैंकों के पास कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट (सीसी/ओडी) सुविधाएं नहीं हैं, वे किसी भी कर्जदार के लिए चालू खाता नहीं खोल सकते।
जिन विदेशी बैंकों के पास भारत में सीमित पूंजी है, वे इस सर्कुलर से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। क्योंकि उनके पास इन कंपनियों को बड़ी क्रेडिट लाइन देने के लिए बैलेंस शीट की ताकत नहीं है।
एएए रेटेड पर होगा फोकस
मुले ने कहा कि उनका बैंक इन कंपनियों को लोन देने के लिए तैयार है जिनमें से ज्यादातर एएए रेटेड हैं। हालांकि लोन देना इस बैंक का पहला उद्देश्य नहीं है। बैंक का कुल कॉर्पोरेट फंड और विदेशी शाखाओं का बकाया फंड 30 सितंबर के अंत में 6.41 बिलियन डॉलर से 5.47 अरब डॉलर हो गया है। एक साल पहले यह 8.35 बिलियन डॉलर था। 66% बकाया भारतीय कंपनियों और उनकी सहायक कंपनियों पर है जबकि 17% भारतीय या भारत से जुड़ी गैर-भारत कंपनियों के लिए था।
मुले ने कहा कि बैंक भारत और भारत से जुड़ी कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा लेकिन वह भारत की ओर देख रही कंपनियों में भी विस्तार करना चाहता है। देश के बाहर बसे भारतीयों को अपना ग्राहक बनाना चाहता है। बैंक के विदेशों में 15 ऑफिस हैं।
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