शहर में कोरोना के बीच शुक्रवार से 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए लंबे समय बाद फिर स्कूल खुले, लेकिन पेरेंट्स में कोरोना के डर और असमंजस के कारण विद्यार्थियों की उपस्थिति औसतन महज 8 फीसदी ही रही। शहर में सभी सरकारी स्कूल खुले, लेकिन यहां बच्चों की उपस्थिति सिर्फ 5 फीसदी ही रही, वहीं ज्यादातर प्राइवेट स्कूल बंद रहे, लेकिन जो खुले उनमेें 10 प्रतिशत स्टूडेंट उपस्थित रहे।
हालत यह रही कि शिवाजी नगर स्थित सुभाष एक्सीलेंस स्कूल में 10वीं की एक क्लास में सिर्फ 3 बच्चे ही दिखाई दिए, जबकि इसी क्लास के 22 बच्चे घर पर ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे थे। कुछ ऐसा ही हाल सराेजिनी नायडू गर्ल्स हायर सेकंडरी का था। यहां पीटीएम में 10वीं के एक सेक्शन में 5 पेरेंट्स और 10 विद्यार्थी ही पहुंचे थे।
शहर में स्कूल
कम संख्या की वजह यह भी... प्राचार्याें ने बताया कि अभी रुक जाना नहीं योजना के तहत ओपन बोर्ड की परीक्षा भी चल रही हैं, इसलिए भी कम बच्चे आए।
कुछ पेरेंट्स खुश भी हुए...
मॉडल स्कूल में 10 बच्चे पहुंचे। एक क्लास में 2-3 बच्चों से ज्यादा नहीं दिखे। 12वीं कक्षा के विद्यार्थी खेमराज के पिता मन्नुलाल कोरी उन्हें स्कूल लेकर आए थे। कहते हैं, घर से पढ़ाई तो हो रही थी, लेकिन स्कूल जैसा माहौल घर पर नहीं मिलता, इसीलिए मैं तो खुश हूं कि आखिर बच्चों का स्कूल तो खुला।
पेरेंट्स का सवाल- हाथ तो सैनिटाइज कर देंगे, लेकिन क्लास में क्या व्यवस्था की जाएगी
स्कूलाें में ज्यादा विद्यार्थियाें के नहीं पहुंचने की सबसे खास वजह बच्चाें के माता-पिता की काेराेना से बचाव के प्रति चिंता है। स्कूलाें में सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं? माॅनीटरिंग कैसे हाेगी? टीटी नगर स्थित माॅडल और कमला नेहरू हायर सेकंडरी स्कूल में कुछ पैरेंट्स ने वहां माैजूद टीचर से यह भी सवाल कर लिया कि हाथ तो सैनिटाइज कर दोगे, लेकिन क्लास में क्या व्यवस्था है। इस पर टीचर चुप रहीं ताे छात्रा की मां रामदेवी यादव ने लिखकर दे दिया कि वे बेटी को स्कूल भेजने तैयार नहीं।
यहां भी यही हाल- भेल इलाके के कार्मल कॉन्वेंट, सेंट जेवियर जैसे स्कूल रहे बंद
ऐसे रहे इंतजाम... आनंद विहार स्कूल के एंट्री गेट से लेकर क्लासरूम तक टीचर्स और स्कूल स्टाफ का दल अपने-अपने माेर्चे पर डटा था। करीब 6 टीचर्स स्टूडेंट्स का इंतजार कर रहे थे, एक बच्चों का नाम नोट करने के लिए, एक सहमति पत्र के लिए, एक हैंड सैनिटाइज करने के लिए और दो-तीन सिर्फ इसीलिए कि बच्चे डिस्टेंसिंग न तोड़ें।
ओपन बोर्ड परीक्षा के कारण कम पहुंचे विद्यार्थी
जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलाें में पहले दिन 25 फीसदी विद्यार्थी पहुंचे। परीक्षा भी चल रही है, इसलिए असर हुआ। एसओपी के लिहाज से काेविड-19 काे लेकर सभी इंतजाम किए गए हैं। साेमवार से तादाद बढ़ जाएगी। -नितिन सक्सेना, डीईओ, भोपाल
कंटेंट : अनूप दुबोलिया, वंदना श्रोती, गिरीश उपाध्याय, रश्मि खरे, शान बहादुर, अनिल दीक्षित
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