प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों ने अनुमान से आठ हजार करोड़ रुपए अधिक खर्च कर दिए। मामल वित्तीय वर्ष 2018-19 की है। इस अधिक खर्च की वजह से तीनों (पूर्व, पश्चिम व मध्य) कंपनियों को 7170 करोड़ रुपए का घाटा हो गया। अब इस इस रकम की भरपाई के लिए होल्डिंग कंपनी पावर मैनेजमेंट की ओर से नियामक आयोग में पुनरीक्षित याचिका लगाई गई है। पांच जनवरी को इसकी सुनवाई होगी। आयोग ने ऑनलाइन सुनवाई के लिए आपत्तियां आमंत्रित की है। इस रकम को मंजूरी मिली तो बिजली कंपनियों का घाट 32 हजार करोड़ के लगभग पहुंच जाएगा। इसका सीधा असर आम बिजली उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली दर के रूप में पड़ेगा। इसके लिए कंपनियां अपने खर्च घटाने की बजाय उपभोक्ताओं की जेब पर भार डालने की तैयारी कर ली है।
वास्तविक आंकड़े अनुमान से होते हैं अलग
जानकारी के अनुसार हर वित्तीय वर्ष की शुरूआत में तीनों कंपनियों की ओर से आय और होने वाले खर्च का एक अनुमानित आंकड़ा नियामक आयोग में पेश किया जाता है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर कंपनियों को वास्तविक आय-व्यय का पता चलता है। इसी वास्तविक आय-व्यय को पुनरीक्षित याचिका के नाम से नियामक आयोग में दाखिल करते हुए मंजूरी लेनी पड़ती है। जब कंपनी की ओर से नई याचिका दाखिल की जाती है, तो उसमें इस पुनरीक्षित याचिका के घाटे का भी जिक्र किया जाता है। इसके आधार पर ही बिजली के दरों में बढ़ाने का दावा किया जाता है।
सबसे अधिक घाटा मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी को
वित्तीय वर्ष 2018-19 में हुए 7170 करोड़ रुपए के घाटे में सबसे अधिक हिस्सेदारी मध्य विद्युत क्षेत्र वितरण कंपनी की है। यहां 3615 करोड़ रुपए का घाट हुआ है। कंपनियों का दावा है कि इस वित्तीय वर्ष में आय कम हुई। आंकलित बजट में जो राशि खर्च करने का प्रस्ताव था, उससे आठ हजार करोड़ रुपए अधिक खर्च हुए। नियामक आयोग ने 31 दिसंबर तक आपत्ति मांगी है। वहीं पांच जनवरी को सुबह 11 बजे आयोग सुनवाई करेगा।
मुख्यमंत्री को लिखी चिट्टी
बिजली कंपनी के मनमाने खर्च पर लगाम लगाने के लिए अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल ने सीएम को पत्र लिखा है। उनके अनुसार राजस्व वसूली नहीं करने का खामियाजा आम जनता को महंगी बिजली खरीदकर भुगताना पड़ रहा है। कंपनियां अपनी गलतियों पर परदा डालना चाह रही हैं। पिछले पांच साल में तीनों वितरण कंपनियों का कुल घाटा 32 हजार करोड़ रुपए के पार पहुंच गया। कंपनियां इस घाट का हवाला देकर इस बार बिजली की कीमत बढ़ाने की तैयारी में जुटी हैं। जबकि पिछले दिनों शक्ति भवन का निरीक्षण करने पहुंचे ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कंपनियों के खर्चों में कटौती की बात कही थी।
यहां से हो रहा घाटा
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