ठंड बढ़ने के साथ शहर व आसपास के गांव में भालुओं की दहशत बढ़ती जा रही है। ग्रामीण इलाकों में दिनदहाड़े दिखने वाले भालू अब शाम ढ़लते ही शहर के आम रास्तों में दिखने लगे हैं। शहर के बीच सड़कों में भालुओं के घूमने से शहरवासियों पर खतरा मंडराने लगा है। शहर में भालुओं की बढ़ती आमद को रोकने व शहरवासियों को बचाने वन विभाग के पास फिलहाल कोई तरकीब नहीं है। जहां भालुओं का रहवास है वहां भी उनके लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं है। पिछले 15 दिनों मेें तो लगातार भालू शहर के बीच पहुंचने लगे हैं। इसके पहले तक ये भालू शहर के बाहरी इलाके सिविल लाइन, शिव नगर, संजय नगर, रामनगर, बरदेभाटा, अलबेलापारा, सिंगारभाट में दिखते थे लेकिन सप्ताहभर से पांच भालू एक साथ मांझापारा, कयुनिटी हाल के निकट, पुलिस पेट्रोल पंप, गिल्ली चौक, पुराना बसस्टेंड, डेली मार्केट, आमापारा, शीतला, भंडारीपारा मार्ग में देखे जा रहे हैं। 30 अक्टूबर को मार्निंगवाॅक पर निकले लोगों ने तीन भालुओं को पुराने कम्युनिटी हाॅल के आसपास घूमते देखा। 1 नवंबर को एक भालू भोजन की तलाश में अलबेलापारा एक मकान में घुस गया था। अगले दिन 2 नवंबर को भालुओं की संख्या पांच हो गई और वे मांझापारा में कचहरी के निकट गलियों में घूम रहे थे। इसके बाद से लगातार रात 11 बजे के बाद कभी गिल्ली चौक के निकट तो कभी मेनरोड, मांझापारा, भंडारीपारा मार्ग में दिखने लगे हैं। दीपावली की रात पुराना बसस्टेंड के निकट मेनरोड में घुमते दिखे। 17 नवंबर की रात भी मांझापारा की गलियों में घूमते रहे। पिछले माह 24 अक्टूबर को हाटकोंगेरा में भालू ने एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमला कर घायल भी कर दिया था।
ये भी जानिए, पिछले महीने मृत मिला था एक भालू
ग्राम हाटकोंगेरा आवासपारा में 18 अक्टूबर को सड़क पर मादा भालू का शव पड़ा मिला था। वहीं उसके बच्चे भी बैठे हुए थे। जब लोगों की भीड़ उस ओर आई तो बच्चे भाग गए। भालू की मौत किन कारणों से हुई यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। भालू के शरीर में कोई चोट के निशान भी नहीं थे। पिछले साल अलग अलग जगहों पर करेंट की चपेट में आने व कुआं में गिरने के कारण 7 भालूओं की मौत हुई थी।
ये भी एक सवाल: फिर शहर में क्यों घूम रहे भालू?
कांकेर शहर के आसपास बस्ती से सटी पहाड़ी व जंगल को देखते ठेलकाबोड़ व डुमाली में जामवंत योजना के तहत 2015 में भालुओं के रहने योग्य बनाया गया। लाखों खर्च कर यहां भालुओं के पसंद के अमरूद, जामुन, बेर, मकोय, गुलर व आम के पौधे लगाए गए ताकि इनसे भालू अपना पेट भरकर जंगल में ही रहें। भोजन की तलाश में बस्ती तक न आएं। भालू यहां रहने के बजाए बस्ती में ही घूमते नजर आते हैं।
शहर में घुसे भालूओं को पकड़ने कई घंटे चला आॅपरेशन
पिछले साल 22 अक्टूब र2019 को एक भालू दिन दहाड़े शहर में घुस आया था। शहर में यहां वहां भागते हुए भालू पुराने कम्युनिटी हाॅल व पीडब्ल्यूडी काॅलोनी के बीच में घुस गया था। रिहायशी इलाके में घुसने व उसे पकड़ने में वन विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। सुबह से लेकर दोपहर तक आॅपरेशन चला। इसमें रायपुर से आए स्पेशलिस्ट डाॅक्टर ने ट्रंकुलाइजर गन से उसे शूट कर बेहोश किया था। तब जाकर भालू पकड़ा गया था। इसी तरह 19 दिसंबर 2018 में सिविल लाइन में जज के बंगले में घुसे भालू को पकड़ने के लिए 9 घंटे तक आॅपरेशन चला था।
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