Saturday, 24th May 2025

स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग:इंदौर 300 करोड़ खर्च कर नं. 1, हम 325 खर्च कर भी टॉप-25 में नहीं

Sun, Dec 6, 2020 12:31 AM

  • 5 साल में एक बार भी सफाई की चमक नहीं बिखेर सकी गुलाबीनगरी
  • नगर निगम की कार्यशैली पर उठने लगे सवाल
  • 484.6 वर्ग किमी में फैला है जयपुर शहर, इंदौर 530 वर्ग किमी
 

 राजधानी की सफाई पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल ग्रेटर नगर निगम व हैरिटेज नगर निगम में इंदौर से 25 करोड़ रुपए ज्यादा हर साल सफाई पर खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम के अफसर और शहर की सरकार गुलाबीनगरी को स्वच्छ बनाने में फेल साबित हो रही है। जयपुर में हर साल सफाई पर करीब 325 करोड़ रुपए और इंदौर में 300 करोड़ रुपए खर्च होते हैं।

खास बात यह है इंदौर शहर जयपुर शहर से करीब 45 वर्ग किलोमीटर एरिया में ज्यादा फैला हुआ है। इसके बाद भी स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में हर बार देश में पहली रैंक हासिल कर रहा है। जयपुर शहर पिछले पांच साल में अभी तक देश के टॉप 25 शहरों में भी जगह नहीं बना पाया है। ऐसे में नगर निगम के अफसरों व नगर निगम के मेयर की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। जयपुर शहर 484 वर्ग किलोमीटर और इंदौर 530 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण के ब्रांड एंबेसडर केके गुप्ता ने भी नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाकर केन्द्र सरकार को अफसरों की कार्यशैली से लिखित में अवगत कराया है। गुप्ता का कहना है कि वे दो बार जयपुर नगर निगम के अफसरों से सर्वेक्षण के कामकाज को लेकर समीक्षा कर चुके और उनको शहर को स्वच्छ बनाने के लिए सर्वेक्षण की गाइडलाइन की पालना करने के लिए सेमीनार कर चुके हैं। लेकिन अफसरों ने रैंकिंग सुधारने के लिए गाइडलाइन की पालना ही नहीं की है।

  • एरिया में इंदौर से कम और खर्च में आगे है जयपुर, फिर भी सफाई में इंदौर नंबर वन
  • 300 करोड़ खर्च करता है इंदौर, जयपुर से 25 करोड़ कम

पैरामीटर तय करने होंगे बेस्ट रैंकिंग के लिए

स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के तहत छह संकेतक आधारित प्रदर्शन पर शहरों की श्रेणी तय होगी। इसमें गीले, सूखे और खतरनाक अपशिष्ट को अलग करने, गीले अपशिष्ट के निस्तारण की प्रक्रिया, गीले और सूखे अपशिष्ट का निस्तारण, पुनर्चक्रण, निर्माण मलबे के निस्तारण, कचरा स्थल पर फेंके जाने वाले कचरे की मात्रा और शहरों की सफाई की स्थित पर विशेष जोर रहेगा। इसी आधार पर शहरों की रैंकिंग तय होगी। इन पैरामीटर को पूरा करने वाले शहरों को दिव्य (प्लेटिनम), अनुपम (गोल्ड), उज्जवल (सिल्वर), उदित (कांस्य) और आकांक्षी (एस्पायरिंग) की रैंकिंग दी जाएगी।

ऐसे होगी मार्किंग, 6000 ही होंगे अंक
स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 में कुल 6 हजार अंक थे। इस बार भी इतने ही अंक रहेंगे। गत सर्वेक्षण में सिटीजन फीडबैक, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन, सर्विस लेवल प्रोग्रेस और सर्टिफिकेशन के 25-25 फीसदी मॉर्क्स के हिसाब से 1500-1500 अंक थे, लेकिन इस बार सिटीजन वॉइस के 30 फीसदी सर्विस लेवल प्रोग्रेस के 40 फीसदी और सर्टिफिकेशन के 30 फीसदी अंक रहेंगे।

डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन को इस बार सिटीजन वॉइस और सर्विस लेवल प्रोग्रेस में शामिल कर लिया गया है। सिटीजन वॉइस में फीडबैक, अगेजमेंट, एक्सपीरियंस के साथ स्वच्छता एप और इनोवेशन के 1800 अंक, सर्टिफिकेशन में स्टार रेटिंग के 1100 और ओडीएफ+, ओडीएफ++, वाटर के 700 अंक और सर्विस लेवल प्रोग्रेस में सेग्रिग्रेटेड, कलेक्शन, प्रोसेसिंग और डिस्पोजल व सस्टेनेबल सेनिटेशन के 2400 अंक निर्धारित किए गए हैं।

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