कोरोना काल में रेलवे ने स्पेशल ट्रेन की सुविधा तो दे दी है साथ ही यात्रियों से किराए की मनमाने तौर पर वसूली शुरू कर दी है। दुर्ग से भोपाल तक जाने वाली अमरकंटक एक्सप्रेस में रायपुर से शहडोल तक स्लीपर क्लास में जाने के लिए यात्रियों को 240 रुपए का किराया लग रहा है। लेकिन इसी रूट से शहडाेल जाने वाली दुर्ग-निजामुद्दीन स्पेशल का किराया 415 रुपए है। स्लीपर के साथ ही एसी कोच में भी किराए का अंतर करीब दोगुना है। इसी तरह दुर्ग-छपरा सारनाथ एक्सप्रेस में भी रायपुर से शहडोल का किराया स्लीपर क्लास में 210 रुपए ही है। जबकि दुर्ग-उधमपुर साप्ताहिक स्पेशल का किराया 415 रुपए है। रेलवे पहले ही स्पेशल के नाम पर 20 फीसदी से अधिक किराए की वसूली कर रहा है। ऊपर से अलग-अलग ट्रेनों में अलग-अलग किराए ने यात्रियों पर आर्थिक बोझ और बढ़ा दिया है।
बेस फेयर का पूरा खेल : विभिन्न ट्रेनों में किराए का अंतर उसके बेस फेयर से बढ़ता-घटता है। मिली जानकारी के मुताबिक दुर्ग से छूटने वाली ट्रेनों के किराए में अलग-अलग बेस फेयर तय किए गए हैं। अमरकंटक एक्सप्रेस का रायपुर से शहडोल के लिए बेस फेयर 190 रु., रिजर्वेशन चार्ज 20 रु.और सुपरफास्ट चार्ज 30 रु. है। जबकि दुर्ग-निजामुद्दीन का बेस फेयर 365 रु., रिजर्वेशन चार्ज 20 रु. और सुपरफास्ट चार्ज 30 रुपए है। सवाल उठता है कि जब दोनों ही ट्रेनें सुपरफास्ट हैं, तो बेस फेयर में 175 रुपए का अंतर क्यों रखा गया है।
किराए में अंतर को ऐसे समझिए
"पूजा स्पेशल ट्रेनों में अतिरिक्त किराए का सिस्टम है। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने सकुर्लर जारी किया है। इसी वजह से स्पेशल की तुलना में पूजा स्पेशल ट्रेनों का किराया अधिक है।"
-विपिन वैष्णव, डीसीएम, रायपुर मंडल
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