Friday, 23rd May 2025

अव्यवस्था:धान खरीदी की कागजी तैयारी, 388 चबूतरों का निर्माण पर कहीं शेड नहीं, परिवहन की स्वीकृति भी अटकी

Sun, Nov 22, 2020 1:22 AM

  • सहकारी समिति संघ की चेतावनी- खरीदी के साथ उठाव शुरू नहीं हुआ तो बंद कर देंगे काम
 

जिले में 1 दिसंबर से धान की खरीदी शुरू होने वाली है। इसके लिए प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है पर यह सब कागजी तौर पर ही चल रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत प्रशासन की ओर से जिलेभर के खरीदी केन्द्रों में धान की सुरक्षा के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर 388 नए चबूतरों का निर्माण कराया गया है पर हैरत की बात यह है कि इन चबूतरों में शेड नहीं लगाया गया है। खरीदी के बाद धान का उठाव कब से शुरू होगा, यह भी तय नहीं कर पाए हैं। परिवहन का टेंडर जिला स्तर पर हुआ है पर मुख्यालय में स्वीकृति अटकी हुई है। मिलर्स किस केन्द्र से उठाव करेंगे? इसकी भी सूची नहीं बन पाई है। अफसर केवल तैयारी जारी है का रट लगाए हुए हैं। इधर सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने तो स्पष्ट कर दिया है कि खरीदी के पहले दिन से उठाव नहीं हुआ तो खरीदी बंद कर देंगे। भास्कर ने धान की खरीदी की तैयारी को लेकर पड़ताल की तो पता चला कि खरीदी में सबसे महत्वपूर्ण परिवहन की व्यवस्था ही अब तक नहीं हो पाई है। हालांकि मार्कफेड की ओर से टेंडर बुलाने के बाद कलेक्टर की अनुशंसा कराकर मुख्यालय भेज दिया गया है।

धान की सुरक्षा के लिए पहले चरण का काम पूरा
लाखों खर्च के बाद भी करोड़ों रुपए का धान खुले में रहेगा। बारिश होने पर अब कैप कवर ही सहारा है। खरीदी सिर पर है और प्रशासन की ओर से हाल ही में 80 नए चबूतरों के निर्माण की मंजूरी दी गई है। इसका काम शुरू हो गया है पर समय पर पूरा करना बड़ी चुनौती है। प्रशासन की ओर से धान की सुरक्षा के नाम पर पहले चरण में नरेगा के तहत 388 चबूतरों के निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। नरेगा शाखा की ओर से पांच से छह माह के भीतर यह काम पूरा करा दिया गया है। कुछ स्थानों पर शेड नहीं बना पाए हैं।

14 हजार मिट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग शेष
मिलर्स की ओर से बीते सीजन का 14 हजार मिट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग पूरी नहीं की गई है। शुक्रवार को कलेक्टर टीके वर्मा ने मिलर्स की बैठक लेकर यह प्रक्रिया जल्द पूरी करने के निर्देश दिए। 15 दिन के भीतर मिलिंग करने कहा गया। कलेक्टर ने मिलर्स को बारदानों की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने बताया कि चबूतरों में शेड निर्माण का प्रावधान नहीं है। फंड नहीं होने की वजह से शेड नहीं लगे हैं। उन्होंने खरीदी केंद्रों में पर्याप्त सुविधाएं जुटाए जाने के निर्देश दिए। ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो।

समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए जिले में प्लानिंग

  • 132 - समितियों के माध्यम से होगी खरीदी
  • 137 - उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं
  • 1 लाख 95 हजार किसान धान बेचेंगे
  • 13 - हजार गठान बारदाने की जरूरत
  • 65 - सौ गठान की आपूर्ति हो पाई है

एक चबूतरे को बनाने के पीछे 2 लाख रुपए खर्च
एक चबूतरों के पीछे लगभग 2 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। लाखों रुपए इसके पीछे खर्च किए गए हैं पर कहीं भी बारिश से बचाव के लिए शेड नहीं बनवाएं हैं। इन चबूतरों के निर्माण से धान के बोरों को जमीन पर नहीं रखना पड़ेगा। बारिश के बाद जमीन गीली होने पर नुकसान से बचाया जा सकेगा पर बारिश से बचाना मुश्किल होगा। इसके लिए समितियों को बारदानों के पीछे लाखों रुपए खर्च करने होंगे।

13 हजार की जरूरत 62 सौ गठान ही मिल पाया
धान की खरीदी के लिए जिले में 13 हजार गठान बारदाने की जरूरत है पर अब तक केवल 62 सौ गठान की खेप पहुंची है। जिले में खरीदी शुरू होने के पहले ही दौर में बारदानों की कमी बनी हुई है। बताया गया कि इस बार बारदानों की कमी के चलते प्लास्टिक के बारदानों का भी उपयोग होगा। हर साल परिवहन में देरी के चलते खरीदी की व्यवस्था लड़खड़ा जाती है। सेवा सहकारी कर्मचारी संघ की ओर से बार-बार अफसरों को ज्ञापन सौंपकर मांग की जा रही है कि परिवहन की व्यवस्था पहले से कर ली जाए।

जाम नहीं लगने देंगे खरीदी बंद कर देंगे
सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ के प्रदेश के संयुक्त सचिव ईश्वर श्रीवास ने बताया कि खरीदी से पहले अनुबंध नहीं हुआ और अगर खरीदी के पहले दिन से परिवहन की व्यवस्था नहीं की गई तो खरीदी बंद कर देंगे, क्योंकि हर साल नुकसान झेलते हैं और कार्रवाई का डर बना रहता है। यह सब कर्मचारी नहीं सह सकते।

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