Saturday, 24th May 2025

सैन्य जवान को जमानत देने से अदालत का इनकार, कहा- पाकिस्तानी एजेंट को सेना की गोपनीय सूचना देना गंभीर

Thu, Nov 19, 2020 4:34 PM

भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया के माध्यमों पर पाकिस्तानी एजेंट को सेना की गोपनीय सूचना देने का मामला अतिसंवेदनशील और गंभीर है। ऐसी स्थिति में आरोपी अविनाश कुमार को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। जस्टिस राजीव कुमार दुबे की एकलपीठ ने कहा कि पुलिस ने आरोपी के मोबाइल से जो डाटा एकत्र किया है उससे स्पष्ट है कि फर्जी नाम से रह रही पाकिस्तानी एजेंट प्रिशा अग्रवाल को गोपनीय सूचना दी गई है और उसके बदले आवेदक ने पैसे लिए।


ऐसी स्थिति में प्रारंभिक तौर पर आरोप बहुत ही गंभीर प्रतीत होते हैं, इसलिए आवेदक को जमानत नहीं दी जा सकती। अभियोजन के अनुसार बिहार रेजिमेंट महू (इंदौर) में नायक के पद पर पदस्थ अविनाश पर आरोप है कि उसने वॉटस्एप, इंस्टाग्राम, वीडियो चैट और ऑडियो चैट के माध्यम से सेना की गोपनीय सूचना पाकिस्तानी एजेंट को दी है। अविनाश पर आरोप है कि उसने ये सूचना लीक करने के लिए एजेंट से पैसे भी लिए हैं।

आवेदक- पैसे पाकिस्तान से नहीं दिल्ली से ट्रांसफर हुए

  • एसटीएफ ने 16 मई 2019 को आरोपी को गिरफ्तार किया था। भोपाल की कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद अविनाश ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की। आवेदक की ओर से कहा गया कि अभियोजन के पास ऐसे कोई सबूत या गवाह नहीं हैं, जिससे यह साबित हो सके कि उसने गोपनीय सूचना लीक की है। यह भी कहा गया कि जो पैसे उसके अकाउंट में आया है, वो दिल्ली से ट्रांसफर हुआ है न कि पाकिस्तान से।
  • इस मामले में चालान पेश हो चुका है और ट्रायल पूरी होने में बहुत समय लगेगा, इसलिए उसे जमानत दी जाए। इस मामले में भोपाल एसटीएफ ने आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 123, 120बी, 420, 467, 468 एवं 471 और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 की धारा 3, 4, 5 एवं 9 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया।

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