भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया के माध्यमों पर पाकिस्तानी एजेंट को सेना की गोपनीय सूचना देने का मामला अतिसंवेदनशील और गंभीर है। ऐसी स्थिति में आरोपी अविनाश कुमार को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। जस्टिस राजीव कुमार दुबे की एकलपीठ ने कहा कि पुलिस ने आरोपी के मोबाइल से जो डाटा एकत्र किया है उससे स्पष्ट है कि फर्जी नाम से रह रही पाकिस्तानी एजेंट प्रिशा अग्रवाल को गोपनीय सूचना दी गई है और उसके बदले आवेदक ने पैसे लिए।
ऐसी स्थिति में प्रारंभिक तौर पर आरोप बहुत ही गंभीर प्रतीत होते हैं, इसलिए आवेदक को जमानत नहीं दी जा सकती। अभियोजन के अनुसार बिहार रेजिमेंट महू (इंदौर) में नायक के पद पर पदस्थ अविनाश पर आरोप है कि उसने वॉटस्एप, इंस्टाग्राम, वीडियो चैट और ऑडियो चैट के माध्यम से सेना की गोपनीय सूचना पाकिस्तानी एजेंट को दी है। अविनाश पर आरोप है कि उसने ये सूचना लीक करने के लिए एजेंट से पैसे भी लिए हैं।
आवेदक- पैसे पाकिस्तान से नहीं दिल्ली से ट्रांसफर हुए
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