दीवाली के दूसरा दिन सिरोंज में पाड़ों की लड़ाई के नाम रहा। नगर और आसपास के ग्रामीण अंचल में 8 स्थानों पर लड़ाई हुई। सभी लड़ाइयों को देखने के लिए हजारों लोग भी मैदान में जुटे। बासौदा रोड पर स्थित छीपी खेड़ी गांव में हुई पाड़ों की लड़ाई देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। लड़ाई देखते-देखते लोग इतने करीब पहुंच गए कि जब पाड़े भागे तो वे भी उसकी चपेट में आ गए। शुक्र ये रहा कि ये वे ही लोग थे जो पाड़ों को चराते और खिलाते हैं और यही वजह रही कि पाड़ो की चपेट में आने के बाद भी उनकी सेहत पर कुछ असर नहीं पड़ा। क्षेत्र के पामाखेड़ी और जलालपुर गांव में हुई पाड़ों की लड़ाई देखने लिए भी बड़ी संख्या में लोग जुटे।
ईदगाह : नगर में स्थित ईदगाह के मैदान पर पाड़ों की लड़ाई के दो मुकाबले हुए। दोपहर पहला मुकाबला पंचकुईया इलाके में रहने वाले बलजीत यादव के पाड़ो के बीच हुआ। जो सिर्फ 1 मिनट तक चला। दोपहर 3 बजे हुए दूसरे मुकाबले में नयापुरा में रहने वाले बलजीत यादव के ही पाड़े लड़े। ये मुकाबला करीब 4 मिनट तक चला और लड़ाई देखने जुटे हजारों लोगों ने मजा भी लिया।
अलीगंज: बाद शाम 4 बजे अलीगंज मैदान पर पंचकुईया निवासी कल्लू यादव के ही दो पाड़ों की भिड़ंत होना थी लेकिन दोनों की पाडे़ मैदान में पहुंच कर बिना लड़े ही वापस लौट गए।
कार्तिक घाट: पाड़ों की लड़ाई का अंतिम मुकाबला कार्तिक घाट इलाके में स्थित मैदान में हुआ। एक पाड़े ने अपने विरोधी पाड़े को पहले ही वार में चित कर दिया। इसके बाद हुए लगातार वार को विरोधी पड़ा सहन नहीं कर सका और वहीं पड़ा रहा। इसके बाद हालात ऐसे बने की उसे ले जाने के लिए लोडिंग वाहन बुलाना पड़ा।
परंपरा से जुड़ी लड़ाई
दीवाली के दूसरे दिन सिरोंज में पाड़ों की लड़ाई की परम्परा है। परम्परा से लोगों का जुड़ाव ऐसा है कि पाड़ों के मालिक साल भर पहले से इसकी तैयारी करते हैं तो लड़ाई देखने के शौकीन सप्ताह भर पहले से ही लड़ाई कहां-कहां होना है। ये जानकारी जुटाने लगते हैं।
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