Sunday, 25th May 2025

नेताओं का भविष्य:कांग्रेस छोड़ी, भाजपा में जीत नहीं पाए, अब मुश्किल है राजनीतिक सफर

Thu, Nov 12, 2020 8:50 PM

  • ग्वालियर जिले में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मुन्नालाल और इमरती देवी के लिए क्या हैं इस हार के मायने
 

जिले में 3 विधानसभा सीट के नतीजे आ गए है। 2 कांग्रेस और एक पर भाजपा ने कब्जा किया है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मुन्नालाल गोयल और इमरती देवी की हार ने उनके राजनीतिक भविष्य पर संकट खड़ा कर दिया है। क्योंकि कांग्रेस वो छोड़ आए और कोरोना के चलते भाजपा में घुल मिल नहीं पाए। ऐसे में हार के बाद उनकी राजनीति का सफर आसान नजर नहीं आ रहा है। उपचुनाव में परिणाम के बाद हर सीट पर क्या रहे हार के मायने।
डबरा
प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चित विधानसभा डबरा रही है। यहां कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई इमरती देवी भाजपा प्रत्याशी थीं और वह अपने समधी कांग्रेस के सुरेश राजे से 7633 वोट से हार गई हैं। अब इस हार के बाद उनके लिए राजनीतिक संकट बढ़ गया है। कांग्रेस के लोग उनके साथ रहेंगे नहीं और भाजपा से कोरोना काल के चलते वो घुल मिल नहीं पाई। इससे अब उनके हारने के बाद कोई उनको ज्यादा तबज्जो नहीं देगा।
क्यों हार गई
इमरती देवी के हारने के प्रमुख कारणों में उनका पिछले 3 चुनाव से डबरा का विधायक बनना रहा। उनके चेहरे को क्षेत्र में पसंद नहीं किया गया। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आइटम वाले बयान के बाद भी वो सहानुभूति नहीं बटोरे पाई। जबकि पूरे प्रदेश में भाजपा ने इसका फायदा उठाया है। यही कारण है कि इमरती अपने घर वाले एरिया से भी वोट नहीं जुटा पाई।

ग्वालियर पूर्व
जिले की सबसे बड़ी और चर्चित सीट में शुमार ग्वालियर पूर्व में भाजपा ने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायक मुन्ना को उम्मीदवार बनाया। पर भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में गए सतीश सिकरवार ने उन्हें 8555 से मात दी। मुन्ना न विधायक बन पाए न ही भाजपा कार्यकर्ताओं का चुनाव में उन्हें साथ मिला। ऐसे में इस हार से उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।
क्यो हारे
ग्वालियर पूर्व में भाजपा प्रत्याशी मुन्नालाल के हारने का प्रमुख कारण उनका दलबदल ही रहा। 2018 में थाटीपुर, कुम्हारपुरा ओर मुरार का वो क्षेत्र जो अनुसूचित जाति बाहुल्य इलाका है उससे ही उनको रिकॉर्ड वोट मिले थे। पर भाजपा से ये वर्ग काफी नाराज है। मुन्ना के दल बदलते ही ये वोट उन्हें नहीं मिले। इस बार कांग्रेस के सतीश ने यहां से बढ़त बनाई। इज़के अलावा व्यापारी वर्ग का मुन्नालाल से नाराज होना भी भारी पड़ा है।

ग्वालियर
जिले की अन्य महत्वपूर्ण सीट ग्वालियर में कांग्रेस छोड़कर आए मंत्री प्रधुम्न सिंह ने कांग्रेस के सुनील को 33123 वोट से मात दी। उनके साथ भी भाजपा कार्यकर्ता कम उनके समर्थक ज्यादा दिखाई देते थे। इस जीत से वो मंत्री भी बने रहेंगे और भाजपा में अपनी जगह भी बना सकेंगे।
​​​​​​​जीत का कारण
कोरोना काल में ही उपचुनाव की तैयारियों में जुट गए। मैन टू मैन मार्किंग की है। हर घर मे उनके समर्थकों ने जाकर उनकी मोबाइल पर बात कराई। इस दौरान वो क्षेत्र की जनता के लिए गंदे नालों ओर सीवर तक मे कूदने में भी पीछे नहीं हटे। जिसका फायदा मिला और जीते।

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