प्रदेश के 19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में 76% वोटों की गिनती पूरी हो गई है। 3 नवंबर को 28 सीटों पर 44.57 लाख वोट डाले गए थे। आज शाम 5 बजे तक 34.11 लाख वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है। इन वोटों में से 50 % वोट भाजपा के खाते में गए हैं। इनकी संख्या 17.49 लाख हैं।
अब तक 9 सीटों के नतीजे आ गए हैं। इनमें 8 पर भाजपा और 1 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। भाजपा के 6 मंत्री अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह, बदनावर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बमोरी से महेंद्र सिंह सिसौदिया, सांची से प्रभुराम चौधरी, ग्वालियर से प्रद्यु्म्न सिंह तोमर और सुवासरा से हरदीप सिंह डंग जीत गए हैं। भांडेर से भाजपा की रक्षा संत राम सिरोनिया ने महज 136 वोट से कांग्रेस के फूलसिंह बरैया को हराया है। मांधाता से भाजपा के नारायण पटेल ने जीत दर्ज की है। इधर, कांग्रेस ने ब्यावरा में अपना खाता खोला। यहां से कांग्रेस के रामचंद्र दांगी ने भाजपा के नारायण सिंह पंवार को 12102 वोटों से हराया है।
चंबल की सुमावली सीट पर मंत्री एंदल सिंह कंषाना 19 हजार से अधिक वोटों से पीछे हैं। उनकी हार लगभग तय मानी जा रही है। डबरा में भी बड़ा उलटफेर होता नजर आ रहा है। यहां से भाजपा प्रत्याशी और मंत्री इमरती देवी 11वें राउंड में 615 वोट से कांग्रेस के सुरेश राजे से पीछे चल रहीं हैं। ग्वालियर पूर्व की बात करें तो यहां 14वें राउंड में भाजपा के मुन्ना लाल गोयल कांग्रेस के सतीश सिकरवार से 1548 वोटों से पिछड़ गए हैं।
उपचुनाव के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। राज्य की शिवराज सरकार को स्पष्ट बहुमत है। मुख्यमंत्री शिवराज ने दोपहर 12.45 बजे ही ट्वीट कर कहा कि जनता ने एक बार फिर विकास के लिए भाजपा को मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय ले लिया है। उधर, दोपहर 1.30 बजे रुझानों में तस्वीर साफ होने के बाद कमलनाथ ने भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय छोड़ दिया।
मुरैना में भाजपा को झटका
भाजपा को मुरैना में झटका लगा है। ज्योतिरादित्य और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाली मुरैना की 5 सीटों में 3 पर भाजपा पीछे चल रही है। यहां एक सीट पर बसपा भी मैदान मारती नजर आ रही है। बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया मुरैना सीट से लीड लिए हैं। यहां चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज ने नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में एक रैली में कहा था कि आपके क्षेत्र के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर हैं। वह नरेंद्र मोदी के बगल में बैठते हैं। इसलिए, यहां पर भाजपा प्रत्याशी का जीतना जरूरी है। उपुचनाव के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां पर 7 बार रैली की थी।
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14 सीटें, जहां मंत्रियों की किस्मत दांव पर:
सीट | किसके बीच मुकाबला | कौन आगे-कौन जीता |
सांवेर | तुलसीराम सिलावट (भाजपा) और प्रेमचंद्र गुड्डू (कांग्रेस) | तुलसीराम सिलावट आगे |
सुरखी | गोविंद सिंह राजपूत (भाजपा) और पारुल साहू (कांग्रेस) | गोविंद सिंह राजपूत आगे |
ग्वालियर | प्रद्यु्म्न सिंह तोमर (भाजपा) और सुनील शर्मा (कांग्रेस) | प्रद्यु्म्न सिंह तोमर जीते |
डबरा | इमरती देवी (भाजपा) और सुरेश राजे (कांग्रेस) | सुरेश राजे आगे |
बमोरी | महेंद्र सिंह सिसौदिया (भाजपा) और कन्हैया लाल (कांग्रेस) | महेंद्र सिंह सिसौदिया जीते |
सुमावली | एंदल सिंह कंषाना (भाजपा) और अजब सिंह कुशवाह (कांग्रेस) | अजब सिंह कुशवाह आगे |
दिमनी | गिर्राज दंडोतिया (भाजपा) और रविंद्र सिंह तोमर (कांग्रेस) | रविंद्र सिंह तोमर आगे |
बदनावर | राजवर्धन सिंह (भाजपा) और कमल पटेल (कांग्रेस) | राजवर्धन सिंह जीते |
सांची | प्रभुराम चौधरी (भाजपा) और मदन लाल चौधरी (कांग्रेस) | प्रभुराम चौधरी जीते |
पोहरी | सुरेश धाकड़ (भाजपा) और हरिवल्लभ शुक्ला (कांग्रेस) | सुरेश धाकड़ आगे |
अनूपपुर | बिसाहूलाल सिंह (भाजपा) और विश्वनाथ सिंह कुंजाम (कांग्रेस) | बिसाहूलाल जीते |
सुवासरा | हरदीप सिंह डंग (भाजपा) और राकेश पाटीदार (कांग्रेस) | हरदीप सिंह डंग जीते |
मुंगावली | बृजेंद्र सिंह यादव (भाजपा) और कन्हाई राम लोधी (कांग्रेस) | बृजेंद्र सिंह यादव आगे |
मेहगांव | ओपीएस भदौरिया (भाजपा) और हेमंत कटारे (कांग्रेस) | ओपीएस भदौरिया आगे |
चुनाव अपडेट्स:
शिवराज का ट्वीट:
दिग्विजय का ट्वीट:
सीटों की संख्या के मायने
शिवराज सिंह चौहान: भाजपा को 20 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो शिवराज का कद तो बढ़ेगा, लेकिन सत्ता और संगठन में सिंधिया का दखल ज्यादा होने से उन्हें फैसले लेने की पूरी आजादी नहीं होगी। 10 से 15 के बीच सीटें आती हैं, तो सरकार में फैसले करने में शिवराज पर संगठन का ज्यादा दबाव रहेगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया: भाजपा के खाते में 20 से अधिक सीटें आती हैं, तो सिंधिया की प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर धमाकेदार एंट्री होगी और भाजपा में बड़े नेता के तौर पर उभर सकते हैं। यदि 10 से 15 के बीच सीटें आती हैं, तो प्रदेश की राजनीति में कम, केंद्र में सक्रियता ज्यादा रहेगी।
कमलनाथ: कांग्रेस यदि सिंधिया के गढ़ को धराशायी कर 20 से ज्यादा सीटें हासिल कर लेती है, तो कमलनाथ का कद कांग्रेस में और बढ़ जाएगा। दूसरा पहलू यह है कि यदि वे सरकार बनाने में कामयाब न हो सके और 10 से 15 सीटें ही मिलीं, तो प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से एक पद छोड़ने का दबाव बढ़ जाएगा।
दांव पर 'सरकार': जीत का गणित
विधानसभा की कुल सीटें: 230
(दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी के इस्तीफा देने के बाद एक सीट और खाली हो गई है)
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