बिजली कम्पनियों की खस्ताहाल आर्थिक सेहत और घाटे से उबारने के लिए इस बार आम उपभोक्ताओं की जेब कटनी तय हैं। पाॅवर मैनेजमेंट कम्पनी की ओर से तैयार कराई जा रही टैरिफ याचिका में इस बार औसतन सात प्रतिशत तक बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए प्रदेश की तीनों वितरण कम्पनियों से लेखा-जोखा मांगा गया है।
30 नवम्बर तक विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर करना है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिजली कम्पनियों ने औसत 5.25 प्रतिशत बिजली के दाम बढ़ाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस पर निर्णय नहीं हो पाया। लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के घाटा की भरपाई के लिए इस बार बिजली बिलों के दामों में बढ़ोत्तरी होना तय माना जा रहा है।
पाॅवर मैनेजमेंट कम्पनी की ओर से अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए टैरिफ बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें बीते सालों में हुए नुकसान को जोड़कर बिजली की कीमत तय करने की तैयारी है। तीन हजार रुपए से अधिक घाटे की भरपाई के लिए अलग-अलग श्रेणी में चार से 12 प्रतिशत तक कीमत बढ़ाने की तैयारी है। औसतन ये सात प्रतिशत के आसपास रहेगी।
अभी ये है मौजूदा बिजली की दरें
मप्र विद्युत नियामक आयोग में 30 नवम्बर तक याचिका पेश करने के लिए मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने तीनों वितरण कंपनियों से आय-व्यय का लेखा-जोखा मांगा है। बिजली कंपनियों ने वर्ष 2019—20 में 5575 करोड़ यूनिट बिजली बेची थी। वहीं 2020—21 में 6 हजार करोड़ यूनिट बिजली बेचने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्तीय वर्ष में अगस्त तक कंपनी 2050 करोड़ यूनिट बिजली बेच पाई है। उसे उम्मीद है कि रबी सीजन में डिमांड बढ़ने पर छह हजार करोड़ यूनिट का लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा।
बढ़ेगी बिजली की डिमांड
अगले वित्तीय वर्ष में 6500 करोड़ यूनिट के लगभग डिमांड बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में बिजली की उपलब्धता और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बिजली के कीमतों में बढ़ोत्तरी करना होगा। चालू वित्तीय वर्ष में बिजली कम्पनियों ने 39332 करोड़ रुपए के आय और 41332 करोड़ रुपए व्यय का आंकलन किया था। इसी दो हजार करोड़ रुपए की भरपाई के लिए कीमतों में 5.25 प्रतिशत की वृद्धि की अनुमति मांगी थी, जो नहीं मिल पाया।
आय-व्यय के आंकलन पर तय होगी दर
मप्र पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी के राजस्व महाप्रबंधक फिरोज मेश्राम ने बताया कि बिजली की कीमत तय करने का निर्णय मप्र विद्युत नियामक आयोग करती है। कम्पनी अपनी वार्षिक जरूरत के अनुसार आय-व्यय का आंकलन कर दर बढ़ाने की अनुमति मांगती है। नया टैरिफ याचिका बनाने में पिछले साल के गैप को कम करने के लिए दाम बढ़ाने का प्रस्ताव दिया जाएगा।
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