पार्टी के दो हजार कार्यकर्ताओं को हथेली पर सुपारी रखकर निष्ठा की शपथ दिलाने वाले भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट अब भी इस तनाव से उबरे नहीं हैं। इस शपथ ग्रहण समारोह से कार्यकर्ता के मन में भी यह बात घर कर गई कि उन पर भरोसा नहीं किया जा रहा। ‘सुपारी प्रकरण’ सामने ही नहीं आता, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू और उनकी टीम मतदाताओं के मन से ज्यादा विरोधी खेमे की रणनीति टटोलने में लगी थी।
भाजपा जो तय करती, उसका पता कांग्रेस को पहले ही चल जाता। ‘समारोह’ की खबर भी इसी तरह बाहर आई। इस सब में कांग्रेस खुद भी कहां आश्वस्त है? भाजपा ने शिवराज व सिंधिया की तीन-तीन सभाएं कम्पेल, पाल कांकरिया और सांवेर में करवाकर 240 गांवों के तीन सेंटर पॉइंट कवर कर लिए हैं। कांग्रेस बड़े नेताओं की उतनी सभाएं नहीं कर पाई है। अब राहुल और प्रियंका को लाने की मांग की जा रही है।
दूसरी तरफ, आलाकमान पूरी तरह गुड्डू के अपने प्रबंधन, चुनाव लड़ने के तरीके पर निर्भर लग रहा है। सज्जन सिंह वर्मा, सत्यनारायण पटेल, जीतू पटवारी जैसे स्थानीय नेता साथ तो हैं लेकिन खुद गुड्डू भी जानते हैं कि चुनाव जीतेंगे तो वे, हारेंगे तो वे। इसीलिए उनकी अपनी टीम प्रबंधन संभाल रही है। किसी और पर वे एकाएक विश्वास भी नहीं करते। भाजपा में भी छोटा-मोटा भूचाल उस दिन आ गया, जब जगमोहन वर्मा ने निर्दलीय नामांकन भर दिया। सब जुटे, तब नाम वापसी से ठीक एक दिन पहले वे माने।
सिलावट: मैंने सब्जी बेची है, आपके बीच से हूं
सिलावट सांवेर के भीतरी गांवों में लोगों के बीच बैठकर उनसे सीधे जुड़ने के तरीके में यकीन कर रहे हैं। झाड़ू बेच रही महिला से बोले- बहन, मैंने बचपन में सब्जी बेची है। आज थोड़ी देर यहां बैठकर तुम्हारे साथ झाड़ू बेचता हूं। कुछ आगे बढ़कर वे पानीपुरी बेच रहे बच्चे से कहते हैं इधर आ, मैं तुझे पानी पूरी खिलाता हूं।
गुड् डू: विधायक खरीदने की परंपरा रोकें
दिनभर में आधा दर्जन गांवों में सम्पर्क करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू शक्कर खेड़ी पहुंचे। यहां उन्होंने जनता से कहा कि विधायक खरीदकर सरकार बनाने की परंपरा को रोकने के लिए आपको इस चुनाव में वोट डालना है और खरीदी-बिक्री को रोकने के लिए अपना फैसला सुनाना है। बिकाऊ लोगों को सबक सिखाना है।
सुविधा से चुने मुद्दे... मतदाता आस लिए बैठे
इन खतरों से खेलते हुए दोनों दल चुनाव अभियान में अपनी-अपनी सुविधा के विषयों को जनता का मुद्दा बनाने की जुगत में हैं। सिलावट बार-बार नर्मदा और अन्य विकास योजनाओं का हवाला दे रहे हैं। गुड्डू इन्हें कांग्रेस सरकार की योजनाएं बताते हुए कर्जमाफी पर दांव खेल रहे हैं। मुद्दों के बीच मर्यादा गिराने वाले बयान तो हैं ही। चुन्नू-मुन्नू, रावण जैसा चेहरा, तंत्र-मंत्र करने वाले नेता से लेकर साधु और शैतान तक बात पहुंच गई।
इन सब हरकतों के बीच मतदाता ठगा सा महसूस कर रहा है। सभाओं के जरिए शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बने पाल कांकरिया गांव के ही मुकेश जाधव कहते हैं कि गांव में आठवीं तक ही स्कूल है। हमने प्रत्याशियों से कहा है कि इसे 12वीं तक कर दिया जाए। स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है। पूर्व सरपंच हरि यादव के अनुसार ये दोनों मांगें पिछले चुनावों में भी रखी गई थीं। जवाब में तीन बातें कही जाती रहीं- कर लेंगे, देख लेंगे, हो जाएगा।
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