शक्ति की उपासना के नौ दिनी पर्व शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन रविवार को घर-घर में कन्या पूजन किया जाएगा। साथ ही घट विसर्जन के साथ यज्ञ-हवन और अनुष्ठानों का समापन भी होगा। शनिवार को भी लोगों ने अष्टमी का पूजन किया।
माता मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार लगी रही। बिजासन, खजराना की कालका माता, महालक्ष्मी मंदिर राजबाड़ा, अन्नपूर्णा सहित अन्य देवी मंदिरों में माता का विशेष शृंगार किया गया। नौलखा स्थित मनकामेश्वर कांटाफोड़ मंदिर में माता जगदंबा की प्रतिमा का दिन में दो बार शृंगार किया गया।
नवमी पर दोपहर 12 बजे कन्या पूजन किया जाएगा। वहीं, भावसार समाज द्वारा हिंगलाज माता मंदिर में आयोजित पंचकुंडीय महायज्ञ का समापन हुआ। माता का आकर्षक शृंगार किया गया। शहर के समीप ग्राम हरसौला स्थित प्राचीन मां भवानी मंदिर में माता को छप्पन भोग लगाया गया। अन्नपूर्णा आश्रम में शनिवार को मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर फूलों व दीपों से रंगोली भी सजाई गई। मंदिर में दर्शन के लिए दिनभर भक्तों की कतार लगी रही।
108 पदम पुष्प, दीपों से की संधि पूजा
बंगाली समाज ने अष्टमी के दिन शनिवार को 108 दीपों से संधि पूजा की। रविवार को नवमी पर विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। बंगाली एसोसिएशन ईस्ट सुखलिया ने अष्टमी पर संधि पूजा की। पूजा कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट गौतम घोष ने बताया शाम को धुनुची नृत्य हुआ। धुनुची नृत्य नवमी पर भी होगा। नवमी के दिन सुबह माताजी की पूजा आरती के बाद भोग वितरण होगा जो कि पैक करके दिया जाएगा। सोमवार को दशमी के दिन महिलाएं नम आंखों से सिंदूर दान कर माता को विदा करेंगी।
बंगाली क्लब के दुर्गा पूजा कमेटी प्रभारी डॉ. विशाल भट्टाचार्य ने बताया अष्टमी पर अष्ट शक्ति पूजा, आवरण, अंग, आयुध, चतु षष्टी योगिनी पूजा, जया-विजया, षोडशोपचार, भोग एवं आरती हुई। इसके बाद 108 पदम पुष्प एवं 108 दीपों से मां की संधि पूजा की गई। शाम को मां की आरती की गई।
महाअष्टमी पर कई जगह हुआ कन्या पूजन व भोज
इधर, अष्टमी पर कई जगह कन्या पूजन कर भोजन कराया गया। एक स्थान पर हुए आयोजन में पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट ने भी कन्या पूजन किया। रविवार को भी घर-घर में पूजन कर कन्याओं को भोजन कराया जाएगा।
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