प्याज के बढ़ते दाम का असर अब घर की रसोई से लेकर होटल तक में देखने को मिल रहा है। जैसे जैसे दाम बढ़ा वैसे वैसे प्याज की खपत भी कम हो गई है।
बाजार में प्याज है लेकिन खरीदार भोजन में प्याज के जायके की खानापूर्ति करने जरूरत से भी कम खरीद रहे हैं। घर की रसोई में रस्म अदायगी के लिए आधी प्याज काटी जा रही है तो होटलों में नाश्ते व भोजन की प्लेट से प्याज गायब हो गई है।
हालांकि जिले में प्याज की जमाखोरी को लेकर अबतक कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है। दक्षिण भारत में हुई बारिश का असर सीधा असर जिले में वहां से आपूर्ति की जाने वाली प्याज पर पड़ा है। जिले में प्याज 80 रुपए प्रति किलो के दर से बिक रही है। दाम बढऩे से शहर में प्याज की खपत 25 फीसदी ही हो गई है।
हाल में प्याज के दाम गिरने के कोई असार नहीं है। थोक विक्रेता फिरेाज मेमन व सुनील मूलचंदानी ने बताया सितंबर तक प्याज का रेट 40 रुपए प्रति किलो के करीब था। दक्षिण में हुई बारिश से वहां 90 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई।
वर्तमान में बैंगलोर आदि इलाके से जिले में प्याज की सप्लाई होती है। बारिश से फसल के बर्बाद होने से सप्लाई बंद हो गई। दूसरा विकल्प महाराष्ट्र होता है। लेकिन यहां भी अहमदनगर इलाके में हुई बारिश काफी हद तक फसल बर्बाद हो गई। जिससे अब जिले में इसकी आपूर्ति कम हो गई है।
थोक में ही यह प्याज जिले में 65 से 70 रुपए में पहुंच रही है। जो जिले में शनिवार तक 80 रुपए प्रति किलो के दर से बिक रही थी। नई फसल आने के बाद ही रेट कम होगा। इसके लिए दिसंबर तक का समय लग सकता है।
ग्राहक बोले- कोल्ड स्टोरेज की हो जांच
लेकिन उपभोक्ताओं ने कहा जिस तरीके से प्याज के दाम बढ़ रहे हैं उससे लोगों ने मुनाफाखोरों द्वारा जमाखोरी करने की आशंका बढ़ गई है। जिले व उसके आसपास के कोल्ड स्टोरेज व बड़े व्यापारियों के गोदामों में नियमित जांच की जाना चाहिए। जमा व मुनाफा खोरी पर लगाम लगाई जा सके।
भाव सुन किलो की जगह पावभर खरीद रहे प्याज
चिल्हर विक्रेता अब्दुल वहीद व अन्य ने बताया रेट बढऩे के बाद इसकी बिक्री भी कम हो गई है। लोग प्याज का भाव सून एक किलो की जगह एक पाव देने कहते हैं।
वर्तमान में जो प्याज आ रही है वह काफी खराब व गिली आ रही है। जिससे इसके स्टाक का सवाल ही नहीं उठता। बोरों से खराब प्याज निकलने से काफी नुकसान हो रहा है।
Comment Now