दिग्विजय सिंह के खाद को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखे जाने पर अब सियासत शुरू हो गई। कृषि मंत्री कमल पटेल ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पत्र को हास्यास्पद बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जब कमलनाथ ने कोई वादा पूरा नहीं किया और किसान परेशान हो रहे थे, तब उन्होंने पत्र क्यों नहीं लिखा? कांग्रेस ने जनता को धोखा दिया है, अब उन्हें जनता धक्का देगी।
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर रबी फसल में यूरिया के संकट का हवाला देते हुए ध्यान देने का आग्रह किया है। दिग्विजय ने प्रदेश का बंटाधार कर दिया था। आज भी प्रदेश की जनता के लिए वह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका नाम सुनते से आंखों के सामने गड्ढों वाली सड़कें, बिना सिंचाई की खेती, बिना बिजली की अंधेरी रातों की यादें ताजा हो जाती हैं।
दिग्विजय को पत्र लिखने का नैतिक अधिकार नहीं
दिग्विजय सिंह का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खाद के संबंध में पत्र लिखना हास्यास्पद है। दिग्विजय को पत्र लिखने का नैतिक अधिकार नहीं है। वो पहले इस बात का जवाब दें कि अपने कहे अनुसार प्रदेश के सभी किसानों का 2 लाख कर्ज माफी का वादा पूरा क्यों नहीं किया? किसान भाइयों को 2018, 2019 की फसल बीमा राशि क्यों नहीं दी थी?
आपने गरीबों की संबल योजना क्यों बंद कर दी थी? आपने बच्चों को साइकिल, लैपटॉप, छात्रवृत्ति देना क्यों बंद कर दिया था? आपने बेरोजगार युवाओं को 4 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा क्यों पूरा नहीं किया? आपने बुजुर्गों को 1 हजार रुपए पेंशन देने का वादा क्यों पूरा नहीं किया? इसका जवाब प्रदेश की जनता और किसान भाइयों को दें।
खाद की कमी नहीं है
प्रदेश में कहीं खाद की कमी नहीं है। मिस्टर बंटाढार दिग्विजय के राज में किसान परेशान रहे। इसके बाद आए कमलनाथ ने किसानों की कमर तोड़ने का काम किया। रबी 2020-21 के लिए भारत सरकार द्वारा 22 लाख मैट्रिक टन यूरिया का आवंटन दिया गया है, जबकि विगत वर्ष रबी 2019-20 में 17.88 लाख मैट्रिक टन यूरिया का वितरण किया गया था।
एक अक्टूबर 2020 से 21 अक्टूबर 2020 तक 3.60 लाख मैट्रिक टन यूरिया ट्रांजिट सहित प्राप्त हो गया है, जबकि विगत वर्ष इस अवधि में 2.07 लाख मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हुआ था। माह अक्टूबर के लिए भारत सरकार द्वारा 5.02 लाख मैट्रिक टन का आवंटन किया गया है, जबकि विगत वर्ष 2019 के अक्टूबर माह में केवल 2.89 लाख मैट्रिक टन यूरिया ही प्राप्त हुआ था।
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