छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए भेजी गई फाइल को राजभवन ने लौटा दिया। इस पर राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा है, किसानों की रक्षा के लिए सत्र बुलाया गया है। केंद्र के कानून से किसानों के हित प्रभावित हो रहा है। अब सत्र को लेकर बुधवार को फैसला हो सकता है।
दरअसल, केंद्र के कृषि सुधार बिल के विरोध में राज्य सरकार किसानों के लिए नया कानून बनाना चाहती है। इसको लेकर सरकार ने दीपावली से पहले ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा कर दी थी। इसी मामले में सरकार की ओर से सोमवार को फाइल राजभवन को भेजी गई थी, जिसे अगले दिन मंगलवार को राज्यपाल ने सवाल उठाते हुए लौटा दिया।
58 दिन पहले मानसून सत्र हुआ था, अब ऐसी क्या परिस्थिति
राज्यपाल अनुसुईया उइके ने राज्य सरकार से पूछा है कि 58 दिन पहले ही मानसून सत्र हुआ था। अब कौन सी परिस्थिति आ गई है कि अचानक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए? कौन से विधि विषयक कार्य सत्र में होने है स्पष्ट करें। वहीं संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि टकराव जैसी स्थिति नहीं है। सरकार ने 27 और 28 अक्टूबर को सत्र बुलाने का प्रस्ताव राजभवन को भेजा है।
मुख्यमंत्री बोले- रमन सिंह को बैकडोर से शासन चलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पूर्ण बहुमत की सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने कुछ जानकारी मांगी है। उसके बाद उम्मीद है कि अनुमति मिल जाएगी। उन्होंने इसके लिए भाजपा को भी निशाने पर लिया। कहा, राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। रमन सिंह को बैकडोर से शासन चलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
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