204 दिन बाद सोमवार से राजधानी के रातू राेड से धुर्वा और कचहरी चौक से राजेंद्र चौक तक सिटी बसों का परिचालन शुरू हो गया। दोनों रूट पर सिटी बस चलने से लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन पहले ही दिन गाइडलाइन की खुलेआम धज्जियां उड़ी। थर्मल स्क्रीनिंग से जांच के नाम पर दिखावा हुआ। दो सीट पर एक की बजाय दो-दो पैसेंजर्स बिठाया गया। कोई पैसेंजर पॉजिटिव है या कोरोना सैंपल देकर रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है?
ये सवाल पूछे बगैर ही कंडक्टर बस में यात्री को चढ़ा रहा था। निगम के दावे के अनुसार पहले दिन 1200 यात्रियों ने सिटी बस में सफर किया। लेकिन यह आंकड़ा सही नहीं है। क्योंकि, बस में बैठने वाले यात्रियों का नाम, पता दर्ज करने की फिक्र कंडक्टर को नहीं थी। जबकि, गाइडलाइन के अनुसार यह लिखना जरूरी है ताकि कांटेक्ट ट्रेसिंग में आसानी हो। पहले दिन रांची के दोनों पर रूट पर चलीं बसों में गाइडलाइन के पालन की पड़ताल दैनिक भास्कर की टीम ने की।
पहले दिन ही दिखीं सिस्टम की ये 5 खामियां
बदसलूकी... भाड़ा तो दो लोगों का ही लेंगे, बैठो नहीं तो उतर जाओ
किशोरी यादव चौक से लालपुर, बिरसा चौक होते धुर्वा गोलचक्कर तक जाने वाली सिटी बस में भास्कर रिपोर्टर ने खुद सवारी कर जायजा लिया तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं। सवारियों से बदसलूकी की गई, एसओपी का अनुपालन नहीं हुआ। दो सीट पर दो यात्रियों को बैठाकर दोनों से दो-दो लोगों का किराया वसूला गया। कंडक्टर ने तो कई यात्रियों से यहां तक कह दिया कि बैठना है तो बैठो नहीं तो उतर जाओ।
राजेंद्र चौक के पास बस को ढकेल कर करना पड़ा स्टार्ट
राजेंद्र चौक के पास यात्रियों को बैठाकर ड्राइवर ने बस को स्टार्ट करना चाहा, लेकिन स्टार्ट नहीं हुई। ऐसे में कंडक्टर, बस स्टाफ व यात्री को छोड़ने आया एक युवक बस को ढकेलते दिखे। दोनों रूट पर 44 बसों के परिचालन की तैयारी की थी पर, 20 बसें ही चलीं।
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