घर-घर जाकर कोरोना संक्रमितों की खोज के लिए जिले भर में सघन सर्वेक्षण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में सर्वेक्षण दल के कर्मचारी डोर-टू-डोर यह पता कर रहे हैं कि किसी के घर कोई बीमार तो नहीं या किसी में कोरोना के लक्षण तो नहीं हैं। इस अभियान में एक एएनएम, मितानित, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व संबंधित इलाके के पार्षद या सरपंच व सचिव की टीम बनाई गई है। पर कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के सर्वेक्षण में लगे दल के पास ही इससे बचाव व सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। गनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने इस पर आपत्ति जताई है। संघ का कहना है कि सर्वेक्षण के काम में जिले भर से लगभग 4 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई है। जिन्हें कोरेाना से बचाव के लिए ग्लव्स, मास्क व सैनिटाइजर कुछ भी नहीं दिया गया है। इधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सर्वेक्षण का काम शुरू होने से पहले ही सर्वे दल के लिए मास्क, सैनिटाइजर ब्लॉकों में भिजवा दिए गए हैं। आंबा कार्यकर्ता संघ द्वारा भास्कर को दी गई सूचना पर भास्कर ने इसकी पड़ताल की तो पाया कि वास्तव में ग्रामीण इलाकों में सर्वे कर रहे कार्यकर्ताओं को सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं दिया गया है। शहरी क्षेत्र में कार्यकर्ताओं को आंबा परियोजना कार्यालय से मास्क व सैनिटाइजर दिया गया था। पर एक कार्यकर्ता को सैनिटाइजर की पूरी सीसी ना देकर सीसी खोलकर खाली पुरानी सीसी में सौ-सौ एमएल सैनिटाइजर बांटा गया है। इसलिए कई कार्यकर्ताओं को सैनिटाइजर खुद से खरीदना पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और खराब दिखी।
संगठन ने जताई आपत्ति
बगैर सुरक्षा उपकरणों को काेरोना सर्वेक्षण में आंबा कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाए जाने का संगठन ने विरोध किया है। आंबा कार्यकर्ता सहायिका संघ के संरक्षण सोहन राम भगत ने कहा है कि ड्यूटीरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मिनी कार्यकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा किट उपलब्ध कराया जाए। बिना सुरक्षा किट के इस कार्य में जोखिम की संभावना काफी अधिक है। इसके साथ ही कोरोना ड्यूटी करने वाले कार्यकर्ताओं को उनके मानदेय के अलावा अतिरिक्त मानदेय भी उपलब्ध कराया जाए। आंबा कार्यकर्ता संघ की जिलाध्यक्ष ने कहा कि या तो सुरक्षा किट उपलब्ध कराया जाए या ड्यूटी से हमें हटाया जाए। क्योंकि कार्यकर्ताओं के ऊपर अपने बच्चों व परिवार की जिम्मेदारी भी होती है।
यह भी देखें: दो दिनों में ही हाई रिस्क वाले 2613 मरीजों की हुई पहचान
कोविड-19 के लक्षणात्मक मरीजों की पहचान के लिए कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान में 6 अक्टूबर तक 47949 घरों में सर्वे किया गया। लक्षण वाले मरीज 1889 और हाई रिस्क के 2613, मरीजों का चिह्नांकन किया गया है। अभियान के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी इलाकों में मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका, बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का मैदानी अमला घर-घर जाकर कोविड-19 के संभावित मरीजों की जानकारी जुटा रहा है।
ऐसे हो रही संक्रमितों की पहचान
1- सिर्फ 10 रुपए की काॅपी मिली है सर्वे के लिए - मनोरा परियोजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सर्वे के काम के लिए विभाग की ओर से सिर्फ 10 रुपए का कापी दिया गया है। कार्यकर्ताओं ने मास्क भी अपने पैसों से खरीदा है और सर्वेक्षण के काम में जुटीं हैं। कई कार्यकर्ताओं के पास सैनिटाइजर नहीं है। मनोरा इलाके के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में मेडिकल शॉप भी नहीं है जहां से वह अपने पैसों से सैनिटाइजर खरीद सकें।
2- मुंह में गमछा बांधकर कर रहीं सर्वे - आस्ता इलाके में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मुंह में गमछा बांधकर सर्वे का काम कर रही है। इनके पास मास्क तक नहीं है। कार्यकर्ताओं ने बताया कि सरकारी आदेश है इसलिए ड्यूटी तो करनी ही है पर संक्रमण से भी बचना है। इसलिए मुंह में गमछा से ही मास्क का काम लिया जा रहा है। इस इलाके में ना सिर्फ कार्यकर्ता बल्कि मितानिनों को भी मास्क, सैनिटाइजर नहीं मिला है।
भास्कर सवाल: संक्रमण रोक रहे या फैला रहे
ऐसी स्थिति में यह सवाल खड़ा हाे रहा है कि सर्वेक्षण दल के जरिए कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए काम किया जा रहा है या फैलाने के लिए। क्योंकि सर्वे कार्य से पहले सर्वेक्षण दल के कर्मचारियों का ही कोरेाना टेस्ट नहीं हुआ है। उनके पास सुरक्षा किट नहीं है। सर्वे के दौरान यदि वे संक्रमित होते हैं तो उनके जरिए तो स्वस्थ परिवारों में कोरोना का संक्रमण शुरू हो जाएगा।
सभी ब्लॉकों में भेजा गया है सुरक्षा किट
"सर्वेक्षण दल के लिए विभाग द्वारा सभी ब्लॉकों में मास्क, सैनिटाइजर आदि भेजा जा चुका है। यदि किसी को नहीं मिला है तो वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर प्राप्त कर लें। सभी बीएमओ से इस विषय पर जानकारी ली जाएगी। ''
-डॉ.पी सुथार, सीएमएचओ, जशपुर
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