अक्टूबर का महीना है, बक्सर में कुछ ना कुछ तो होगा ही। 22 अक्टूबर 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ था। यह भी अक्टूबर का महीना है। राजनीतिक रूप से बक्सर बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हॉट सीट बना हुआ है। बक्सर विधानसभा सीट परंपरागत रूप से भाजपा के खाते में रही है। भाजपा ने कई बार यहां से फतह हासिल की है। पिछली दफा मामूली वोटों से हार गई थी। वहां कांग्रेस की जीत हुई थी। भाजपा के लिए परंपरागत सीट होने की वजह से भाजपा ने इस सीट पर अपना दावा ठोका था और यह सीट भाजपा के खाते में आ भी गई। लेकिन बात उम्मीदवारी की हो रही है। बात इस बात की हो रही है कि वहां से इस बार कौन सा उम्मीदवार भाजपा का झंडा लेकर जाएगा। जबकि देर रात मंगलवार को भाजपा ने जो लिस्ट जारी की उसमें बक्सर और ब्रह्मपुर के उम्मीदवार का नाम नहीं है।
बक्सर तो भाजपा के पास, गुप्तेश्वर जदयू के पास
बिहार चुनावों के लिए भाजपा ने अपनी 121 सीटों के नाम का ऐलान कर दिया है। इनमें बक्सर सदर विधानसभा सीट भाजपा के खाते में आ गयी है। इस सीट के भाजपा के खाते में आने के बाद अब बड़ा सवाल बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की दावेदारी को लेकर उठ खड़ा हुआ है। गुप्तेश्वर पांडेय ने हाल में ही वीआरएस लेने के बाद जदयू की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इस बात की चर्चा थी कि वह बक्सर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जदयू-भाजपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर हुए समझौते के अनुसार यह सीट भाजपा के खाते में चली गयी है।
भाजपा बक्सर और ब्रह्मपुर को लेकर कन्फ्यूज
डीजीपी पद से इस्तीफा देने के बाद दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत करते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने कहा था कि वह बिहार के किसी भी सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह बात अपनी लोकप्रियता को लेकर कही थी । अभी भी भाजपा ने बक्सर सीट पर उम्मीदवार का नाम न देकर गुप्तेश्वर पांडेय के लिए दरवाजे को खोल रखा है। बक्सर और ब्रह्मपुर में उम्मीदवार नहीं दिए हैं। लेकिन गुप्तेश्वर पांडेय ने जदयू का दामन थाम रखा है। ऐसे में उनको इस बात का इंतजार है कि उनके लिए सीएम नीतीश कुमार क्या आदेश देते हैं।
अब क्या करेंगे गुप्तेश्वर पांडेय
भाजपा द्वारा सीटों के ऐलान के बाद ही भास्कर डिजिटल टीम ने जब पूर्व डीजीपी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वे चुनाव जरूर लड़ेंगे। फिलहाल वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हरी झंडी मिलने का इन्तजार कर रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर से विधानसभा चुनाव लड़ने को अब भाजपा की सदस्यता भी ले सकते हैं। बक्सर में मतदान पहले चरण में ही होना है, जिसके लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख गुरुवार 8 अक्टूबर तक है।
ऑप्शन खुला है लेकिन विरोध की संभावना
यदि भारतीय जनता पार्टी बक्सर से गुप्तेश्वर पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाती है तो भाजपा बक्सर जिला संगठन में बगावत हो सकता है। वहां के नेता बागी हो सकते हैं । वजह यह है पिछली दफा महज 5000 वोट से पार्टी इस सीट को हार गई थी। 2015 में पार्टी के उम्मीदवार प्रदीप चौबे ने महागठबंधन के खिलाफ 56000 वोट लाकर कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी। ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय का बक्सर से चुनाव लड़ना बीजेपी को मुश्किल में डाल सकता है । वहीं बीजेपी ने दूसरा ऑप्शन ब्रह्मपुर का भी छोड़ा हुआ है। लेकिन ब्रह्मपुर में भाजपा के पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र की बहू दिलमणि देवी ने दावा ठोक रखा है। यदि भाजपा गुप्तेश्वर पांडे को ब्रह्मपुर लेकर आती है तो वहां दिलमणि देवी विरोध कर सकती हैं और बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
लोजपा और वीआईपी की नजर बक्सर पर
जब बीजेपी ने बक्सर और ब्रह्मपुर सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की तो बक्सर जिले में जोर-शोर से इस बात पर चर्चा होने लगी कि यह दोनों सीटें वीआईपी के खाते में तो नहीं चली गई। पूरे बक्सर में इस बात का विरोध चल रहा है। बक्सर जिला और ब्रह्मपुर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस बात का विरोध किया है और यह बात मुख्यालय तक पहुंची है। बक्सर में भाजपा के अंदर गुप्तेश्वर पांडे को लेकर होने वाली बगावत यदि लोजपा भांप लेती है तो ऐसे में लोजपा वहां से उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। और बीजेपी के कैडर वोटर लोजपा के पक्ष में जा सकते हैं । हालांकि भाजपा अपना हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। सीट बंटवारे को लेकर जो फजीहत हुई है, उसमें भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
परचा भी खरीद चुके हैं पांडेय
गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर सीट से चुनाव लड़ने के लिए मंगलवार को ही परचा खरीद चुके हैं। जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार चुनाव के लिए अब तक 17 परचे खरीदे गए हैं। दो लोगों ने अभी तक नामांकन दाखिल किया है।
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