उद्यानिकी विभाग में 100 करोड़ की यंत्रीकरण योजना में आर्थिक अनियमितता पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ(ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ईओडब्ल्यू ने उद्यानिकी आयुक्त को नोटिस देकर सारा रिकॉर्ड तलब कर लिया है, जिसके बाद अब सीधे डीलरों के खाते में राशि देना बंद कर दी गई है। अब किसानों के खाते में डायरेक्ट टू बेनिफिट(डीबीटी) से अनुदान की राशि डाली जाएगी, जबकि पिछले साल डीलरों को सीधे करोड़ों के भुगतान कर दिए गए थे।
ईओडब्ल्यू के निरीक्षक पंकज गौतम ने प्राथमिकी दर्ज करने वाले नोटिस के साथ यंत्रीकरण योजना में 2011 से शुरू होने का रिकॉर्ड तलब किया है। उद्यानिकी आयुक्त पुष्कर सिंह से योजना का ब्योरा मांगने के साथ ही किसानों को देने वाले यंत्र, नाम, पता, अनुदान राशि और डीलरों का रिकॉर्ड मांगा गया है। पॉवर टिलर जैसे उपकरणों की खरीदी, किसानों को यंत्र देने की प्रक्रिया, उनसे अनुदान राशि लेने के तरीके जैसे सभी नियमों का रिकॉर्ड बुलाया गया है।
उधर, ईओडब्ल्यू नोटिस के बाद उद्यानिकी आयुक्त पुष्कर सिंह ने सभी जिलों में किसी भी योजना में खरीदी पर अनुदान राशि सीधे किसानों के खाते में डालने के निर्देश जारी कर दिए है। पिछले साल तत्कालीन उद्यानिकी आयुक्त एम कालीदुरई ने डीबीटी में बदलाव कर दिया था। केंद्र के नियम बदल दिए गए थे। योजना के नोडल अफसर राजेंद्र कुमार राजौरिया के निर्देशों पर प्रदेश में एमपी एग्रो से किसानों को अनुदान की जगह करोड़ों की राशि डीलरों के खातों में डाली जा रही थी।
इस मामले में एमपी एग्रो के एमडी श्रीकांत बनोठ के साथ चार सदस्यीय टीम ने करने के बाद ईओडब्ल्यू जांच की सिफारिश की थी। उन्होंने उद्यानिकी अफसरों पर कार्रवाई चाही थी, लेकिन मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने नोडल अफसर राजेंद्र राजौरिया को बचाकर अपने गृह क्षेत्र में तबादला करा लिया है।
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