अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में ड्रग्स के बड़े जाल का खुलासा हुआ है। ऐसे माहौल में आईआईएम रोहतक ने एक खास स्टडी की है। पंजाब, गुजरात और दिल्ली की जेलों में बंद 872 ड्रग्स विक्रेताओं से आईआईएम रोहतक के डायरेक्टर प्रो.धीरज शर्मा और उनकी टीम ने 11 सवाल पूछे।
ड्रग्स के इन धंधेबाजों में 23 महिलाएं भी थीं। इनमें से 85% ने माना कि नशीली दवाओं को बढ़ावा देने वाले संगीत ने युवाओं में ड्रग्स की खपत बढ़ाई है। 79.36% ने माना कि ड्रग्स का महिमामंडन करने वाली फिल्मों से खपत बढ़ रही है। खास बात यह है कि सभी ग्राहक और खुद ड्रग्स विक्रेता बॉलीवुड के कुछ अभिनेता-अभिनेत्री की नकल कोशिश में लगे रहते हैं, ताकि नशे के बाद उनके जैसा काल्पनिक आत्मविश्वास महसूस कर सकें।
ड्रग्स का सेवन भी ऐसे फिल्मी संगीत को सुनते समय ज्यादा किया जाता है। युवाओं को ड्रग्स की ओर खींचने में काफी हद तक भद्दे गीतों का हाथ है। इस स्टडी के साथ ही आईआईएम ने ड्रग्स के जाल को रोकने के लिए कुछ सुझाव तैयार किए हैं, जिन्हें मंत्रालय काे भेजा जाएगा।
डाॅयरेक्टर का सुझाव: फिल्मों में ड्रग्स व उसकी खपत से जुड़े दृश्यों पर चेतावनी अनिवार्य हो
86% लोगों ने माना कि सप्लायर के जरिए ही वे तस्करी के जाल में फंसे
स्टडी में 78.10% ड्रग्स विक्रेताओं ने बताया कि वे खुद ड्रग्स का सेवन करते थे और उसकी बिक्री उनके दोस्तों और परिवार के लोगों तक सीमित थी। इनमें से 56.54% ने जवाब दिया कि नियमित ड्रग्स लेने के लिए वे भी इसे बेचने लगे। 86.70% ने तर्क दिया कि वे अपने ड्रग सप्लायर के मार्फत ही तस्करी में फंस गए। 83.94% ड्रग्स विक्रेताओं ने बताया कि पाकिस्तान से सबसे ज्यादा चोरी-छिपे ड्रग्स आती है।
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