Thursday, 22nd May 2025

शुक्रवार देवी की आराधना का दिन:विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती का वाहन हंस क्यों है? क्यों हंस को माना गया है सबसे बुद्धिमान और निष्ठावान पक्षी?

Fri, Oct 2, 2020 5:16 PM

  • सरस्वती का पहला नाम भारती, दूसरा सरस्वती, तीसरा शारदा और चौथा हंसवाहिनी है
 

सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है। जिस तरह भगवान शंकर का वाहन नंदी, विष्णु का गरुड़, कार्तिकेय का मोर, दुर्गा का सिंह और श्रीगणेश का वाहन चूहा है, उसी तरह सरस्वती का वाहन हंस है। यहां जानिए देवी सरस्वती का वाहन हंस क्यों है?

देवी की द्वादश नामावली में इस बात का उल्लेख मिलता है-

प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी॥ अर्थात सरस्वती का पहला नाम भारती, दूसरा सरस्वती, तीसरा शारदा और चौथा हंसवाहिनी है। यानी हंस उनका वाहन है।

सहज ही यह जिज्ञासा होती है कि आखिर हंस सरस्वती का वाहन क्यों है? सबसे पहले तो यह बात समझना होगी कि यहां वाहन का अर्थ यह नहीं है कि देवी उस पर विराजमान होकर आवागमन करती हैं। यह एक संदेश है, जिसे हम आत्मसात कर अपने जीवन को श्रेष्ठता की ओर ले जा सकते हैं। हंस को विवेक का प्रतीक कहा गया है। संस्कृत साहित्य में नीर-क्षीर विवेक का उल्लेख है। इसका अर्थ होता है- दूध का दूध और पानी का पानी करना। यह क्षमता हंस में विद्यमान होती है -

नीरक्षीरविवेके हंसालस्यं त्वमेव तनुषे चेत्। - भामिनीविलास 1/13
इसका अर्थ है कि हंस में ऐसा विवेक होता है कि वह दूध और पानी पहचान लेता है।

हंस का रंग शुभ्र (सफेद) होता है। यह रंग पवित्रता और शांति का प्रतीक है। शिक्षा प्राप्ति के लिए पवित्रता आवश्यक है। पवित्रता से श्रद्धा और एकाग्रता आती है। शिक्षा की परिणति ज्ञान है। ज्ञान से हमें सही और गलत या शुद्ध और अशुद्ध की पहचान होती है। यही विवेक कहलाता है। मानव जीवन के विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है, इसलिए सनातन परम्परा में जीवन का पहला चरण शिक्षा प्राप्ति का है, जिसे ब्रह्मचर्य आश्रम कहा गया है।

जो पवित्रता और श्रद्धा से ज्ञान की प्राप्ति करेगा, उसी पर सरस्वती की कृपा होगी। सरस्वती की पूजा-उपासना का फल ही हमारे अंत:करण में विवेक के रूप में प्रकाशित होता है। हंस के इस गुण को हम अपनी जिंदगी में अपना लें तो कभी असफल नहीं हो सकते। सच्ची विद्या वही है जिससे आत्मिक शांति प्राप्त हो।

सरस्वती का वाहन हंस हमें यही संदेश देता है कि हम पवित्र और श्रद्धावान बन कर ज्ञान प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।

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