महानदी के पानी के उपयोग को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 37 साल पहले शुरू हुआ विवाद अब तक नहीं सुलझ सका है। दो साल से यह मामला ट्रिब्यूनल में है। 3 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल में इसकी सुनवाई है। राज्य सरकार का तर्क है कि हीराकुंड में 60 हजार एमसीएम पानी है। यदि राज्य को 36 हजार एमसीएम पानी मिले तो पैरी, अरपा और गंगरेल की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा खारंग के पूरा होने पर 10 हजार एमसीएम पानी का उपयोग हो सकता है। सीएम भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के हिस्से का पूरा पानी हासिल करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने अफसरों से कहा है कि वे अपना पक्ष पूरी मजबूती से रखें। बता दें कि महानदी कछार पांच राज्यों छत्तीसगढ़, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड के बीच है। लेकिन महानदी के कैचमेंट एरिया का 53% छत्तीसगढ़ में और 46.5% ओडिशा में है। राज्य में खेती- किसानी से लेकर उद्योग और अर्थव्यस्था में इसकी महती भूमिका है, लेकिन हीराकुंड बांध से छत्तीसगढ़ को न पानी मिल रहा है और न ही बिजली।
दोनों राज्यों के बीच 1983 में शुरू हुआ था विवाद : महानदी का यह विवाद सबसे पहले 1983 में शुरू हुआ। अविभाजित मध्यप्रदेश में यह मामला लगभग ठंडा रहा। यदा- कदा जल को लेकर विवाद की स्थिति बनी लेकिन आपसी बातचीत से मामला सुलझाया जाता रहा, लेकिन 4 साल पहले ओडिशा में पंचायत चुनाव के समय विवाद को राजनीतिक रंग दे दिया गया। उसके बाद से यह विवाद गहराता चला गया। जल विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र ने भी पहल की थी। केंद्र ने ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों को बुलाकर जल बोर्ड बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे ओडिशा सरकार ने अस्वीकार कर दिया जबकि छत्तीसगढ़ ने स्वीकार कर लिया था। सहमति नहीं बनने के बाद 2016 में ओडिशा सरकार इस मामले को लेकर कोर्ट में चली गई। 2017 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। वहां से ट्रिब्यूनल में भेजा दिया गया। तब से ट्रिब्यूनल में लगातार इसकी सुनवाई चल रही है।
ओडिशा ज्यादा कर रहा है पानी का उपयोग : महानदी धमतरी के सिहावा पर्वत से निकलकर पूरे छत्तीसगढ़ में बहने के बाद ओडिशा में दाखिल होती है और यहां से बंगाल की खाड़ी में मिलती है। ओडिशा और अविभाजित मध्यप्रदेश के बीच जल बंटवारे को लेकर 1983 में संयुक्त कंट्रोल रूम बनाने पर सहमति बनी थी। लेकिन दोनों ही राज्यों के बीच कंट्रोल रूम नहीं बन पाया। इस बीच संबलपुर में हीराकुंड डैम बन गया। हीराकुंड डैम बनने के बाद से महानदी के पानी का उपयोग ओडिशा अधिक कर रहा है और छत्तीसगढ़ कम जबकि हीराकुंड का छत्तीसगढ़ में कैचमेंट एरिया 87 फीसदी और ओडिशा में 13 फीसदी है।
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