किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। आने वाले दिनों में वे अपने खेतों की मिटटी की जांच स्वंय कर सकते हैं। बेहद कम समय में। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिकों ने मिट्टी की जांच के लिए कम लागत वाली मिट्टी परीक्षण किट तैयारी किया है। इस पर अब भारत सरकार की मुहर लग गई है। कृषि विवि की इस तकनीक को भारत सरकार का पेटेंट मिला है। अफसरों का कहना है कि यह नई तकनीक खेती-किसानी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएगी। इससे पहले, इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति और मृदा वैज्ञानिक डॉ. एसके.पाटिल के नेतृत्व में इस किट को विकसित किया गया है।
डॉ. एलके. श्रीवास्तव, डॉ. वीएन. मिश्रा और डॉ. आरओ. दास ने कई दिनों तक इस पर रिसर्च किया। एक्सपर्ट ने बताया कि इसे तैयार करने में करीब डेढ़ से दो साल का समय लगा। इसके बाद पेटेंट और स्टडी की प्रक्रिया में चार साल लग गए। तकनीक के मामले में कृषि विवि का यह पहला पेटेंट है। अफसरों का कहना है कि मिटटी से संबंधित जो बेसिक जानकारी के लिए प्रयोगशाला पर निर्भरता कम होगी। आने वाले दिनों में किसान मिटटी परीक्षण किट से खुद ही जांच कर सकेंगे। अब इसे बाजार में लाने के लिए कुछ महीनों का वक्त और लगेगा। प्रोडक्शन कंपनी से यूनिवर्सिटी एमओयू करने की तैयारी में है।
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