Saturday, 24th May 2025

कोरोना और जिंदगी:मजदूरी का काम नहीं मिलता, बाढ़ ने भी तबाही मचाई, अब हाइवे पर दुकान लगाने को मजबूर बीजापुर के ग्रामीण

Wed, Sep 30, 2020 4:58 PM

  • किराना दुकान और सब्जी के छोटे व्यवसाय से रोजी-रोटी जुटाने की जद्दो जहद
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमराई, कई कारखानों में भी काम बंद इसलिए बेरोजगारी
 

बीजापुर जिले के अंदरूनी गांव में रोजगार की कमी के चलते अब सड़कों पर रोजमर्रा की जरूरत के सामान बेचने को ग्रामीण मजबूर हो गए हैं। कोविड-19 महामारी के चलते कई फैक्ट्री, कंपनियों और ठेकेदारों का काम बंद है। इनके पास मजदूरी करने वाले ग्रामीणों के पास काम की समस्या है। लोगों की आर्थिक स्थिति पर काफी बुरा असर पड़ा है। लिहाजा अब ग्रामीणों ने यह रास्ता निकाला है। गांव के उन लोगों से पैसे उधार लिए जा रहे हैं जो आर्थिक रूप से थोड़े मजबूर हैं। इन रुपयों से बेचने के लिए किराना सामान और सब्जी लाकर ग्रामीण नेशनल हाइवे पर छोटी-छोटी दुकानें लगा रहे हैं। कोरोना महामारी का गांवों में यह बड़ा असर अब हर रोज दिखता है।

आशा तेलम और जेम्स कुडिया नाम की महिलाएं इसी तरह दुकान लगाकर परिवार को पालने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं।
आशा तेलम और जेम्स कुडिया नाम की महिलाएं इसी तरह दुकान लगाकर परिवार को पालने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं।

क्या करें, भूख तो लगती है, परिवार भी पालना है
सड़क के किनारे सामान बेचने वाली रेगानार गां की रहने वाली आशा तेलम औ जेम्स कुड़ियां ने दैनिक भास्कर से अपनी मुश्किलें साझा कीं। आशा तेलम के अनुसार पिछले महीने आई बाढ़ के चलते घर की बाड़ी में लगाई सब्जी- भाजी भी खराब हो गई। परिवार में छह सदस्य हैं । गुजारा चलाने के लिए उधार के रुपए लिए और सड़क किनारे यह दुकान लगा ली। अब रोजाना 200 रुपए की आमदनी होती है। पहले के मुकाबले अब कुछ राहत है।

जेम्स कुडिया ने बताया कि परिवार में छोटे बच्चे हैं जिनकी रोज की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने ये दुकान खोल ली। जेम्स ने कहा कि बाढ़ आई कोरोना के कारण मजदूरी का काम भी नहीं मिलता मगर भूख लगती है। हर रोज पेट के लिए तो कुछ करना पड़ेगा ना। करीब 6 से 7 किलोमीटर पैदल जाकर सामान लाते हैं। फिर हाइवे पर छोटी सी दुकान पर इसे बेचते हैं। रास्ते से जाने वाले ट्रक ड्राइवर या एक गांव से दूसरे गांव जा रहे लोग कुछ ना कुछ खरीद लेते हैं।

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