चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस आज:बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है, मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा संभव
Fri, Sep 25, 2020 5:06 PM
- 2015 के चुनाव में राजद जदयू और कांग्रेस साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था, इस गठबंधन को 178 सीटें मिलीं थी
- डेढ़ साल बाद ही नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में चले गए, इस चुनाव में एनडीए में भाजपा, लोजपा और हम (सेक्युलर) के साथ जदयू शामिल
चुनाव आयोग आज दोपहर 12.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। इसमें बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो सकता है। साथ ही मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा भी हो सकती है। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के चलते बिहार चुनाव टालने को लेकर लगाई याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि कोरोना के चलते एक राज्य के चुनाव को टाला नहीं जा सकता। कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकता। पिछले बार 5 चरणों में चुनाव हुए थे। कोरोना के चलते इस बार 2 से 3 चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं।
2015 में साथ लड़े थे राजद और जदयू
2015 के चुनाव में राजद जदयू और कांग्रेस साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। इस गठबंधन को 178 सीटें मिलीं थी। लेकिन, डेढ़ साल बाद ही नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में चले गए। इस चुनाव में एनडीए में भाजपा, लोजपा और हम (सेक्युलर) के साथ जदयू भी है। वहीं, पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही रालोसपा महागठबंधन के साथ है।
2019 लोकसभा चुनाव में 223 विधानसभा सीटों पर आगे था एनडीए
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में 39 सीटें एनडीए को मिली थीं। सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था। लोकसभा के नतीजों को अगर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देखें तो एनडीए को 223 सीटों पर बढ़त मिली थी। इनमें से 96 सीटों पर भाजपा तो 92 सीटों पर जदयू आगे थी। लोजपा 35 सीटों पर आगे थी। एक सीट जीतने वाला महागठबंधन विधानसभा के लिहाज से 17 सीटों पर आगे था। इनमें 9 सीट पर राजद, 5 पर कांग्रेस, दो पर हम (सेक्युलर) जो अब एनडीए का हिस्सा हैं और एक सीट पर रालोसपा को बढ़त मिली थी। अन्य दलों में दो विधानसभा क्षेत्रों में एआईएमआईएम और एक पर सीपीआई एमएल आगे थी।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार
- नीतीश कुमार: 2010 के चुनाव में नीतीश एनडीए की ओर से तो 2015 में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे। इस बार फिर वो एनडीए की ओर से सीएम फेस होंगे। पिछले 15 साल से राज्य में नीतीश की पार्टी सत्ता में है। इनमें 14 साल से ज्यादा नीतीश ही मुख्यमंत्री रहे हैं।
- तेजस्वी यादव: महागठबंधन की ओर से इस बार तेजस्वी यादव चेहरा हो सकते हैं। लालू यादव के जेल जाने के बाद महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद का चेहरा तेजस्वी ही हैं। हाल ही में, राजद के पार्टी कार्यालय के बाहर चुनाव से जुड़ा जो पोस्टर लगाया गया उसमें अकेले तेजस्वी नजर आ रहे थे। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का चेहरा पोस्टर से गायब था।
चुनाव के बड़े मुद्दे
- कोरोना: कोरोना के बीच हो रहे इन चुनावों में कोरोना भी मुद्दा होगा। तेजस्वी यादव कोरोना को लेकर लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं। कोरोनाकाल में नीतीश कुमार के घर से बाहर नहीं निकलने को भी उन्होंने मुद्दा बनाया है। वहीं, नीतीश की ओर से सरकार द्वारा पिछले छह महीने में उठाए कदमों को गिनाया जा रहा है।
- किसान और खेती: केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े दो नए बिल भी इन चुनावों में बड़ा मुद्दा होंगे।
- बेरोजगारी: राजद बेरोजगारी के मुद्दे को लगातार उठा रही है। प्रधानमंत्री के जन्मदिन को राजद ने राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया। नीतीश सरकार लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे प्रवासियों से बिहार में ही रोजगार देने का दावा कर रही है।
- विकास: जदयू और भाजपा जहां पिछली केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किए गए कामों को गिना रहे हैं। वहीं, राजद पिछले 15 साल में किए विकास के दावों को लगातार चुनौती दे रहा है।
- प्रवासी मजदूर: लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी इस चुनाव में अहम होगा। सरकार जहां इन्हें प्रदेश में ही हर संभव मदद देने की बात कर रही है। वहीं, विपक्ष प्रवासियों के लिए समुचित इंतजाम नहीं करने पर सवाल उठा रहा है।
- राम मंदिर : पिछले 30 साल से चुनावी मुद्दा रहा राम मंदिर इस बार भी बड़ा मुद्दा बना रहेगा। फर्क सिर्फ इतना होगा कि इस बार भाजपा इसके शिलान्यास को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाएगी।
चुनाव प्रचार के चेहरे
- नरेंद्र मोदी: भाजपा ने 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद से हर चुनाव में मोदी ही भाजपा के लिए प्रचार का प्रमुख चेहरा रहे हैं। उनकी रैलियां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का बड़ा जरिया रही हैं। इस बार बड़ी रैलियां होना मुश्किल है। ऐसे में मोदी की वर्चुअल रैलियां वोटर्स पर कितना असर डालती हैं ये देखना होगा।
- नीतीश कुमार: जदयू और उससे पहले समता पार्टी के दौर से ही नीतीश हर चुनाव प्रचार में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं। इस चुनाव में एनडीए गठबंधन उनके ही चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगा।
- तेजस्वी यादव: चुनावी राजनीति में महज पांच साल का अनुभव रखने वाले तेजस्वी यादव के हाथ में इस बार के चुनाव प्रचार की कमान होगी। राजद के गठन के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव होगा जब पार्टी लालू के बिना लड़ेगी।
- राहुल गांधी: राहुल गांधी भले कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं लेकिन, चुनाव प्रचार में वो कितने सक्रिय रहते हैं इस पर नजर रहेगी। प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार पर भी सभी की नजर रहेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबियत को देखते हुए पार्टी राहुल और प्रियंका गांधी को आगे कर सकती है।
- चिराग पासवान: लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव प्रचार में अपनी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा होंगे। एनडीए युवाओं और दलितों को लुभाने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, पासवान और उनकी पार्टी की ओर से जिस तरह सीटों के लेकर बयान आ रहे हैं उससे तय है कि एनडीए में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होने वाला है।
बिहार: 2015 में किसे-कितनी सीटें मिलीं
पार्टी |
सीटें |
वोट शेयर (%) |
राजद |
80 |
18.8 |
जदयू |
71 |
17.3 |
भाजपा |
53 |
25 |
कांग्रेस |
27 |
6.8 |
निर्दलीय |
4 |
9.6 |
अन्य |
8 |
22.5 |
कुल सीटें |
243 |
|
मध्य प्रदेश: मार्च में गिर गई थी कांग्रेस सरकार
मध्य प्रदेश में 15 महीने चली कमलनाथ सरकार इसी साल मार्च में गिर गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 कांग्रेस विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। दो विधायकों का निधन हो गया था।
विधानसभा की स्थिति
पार्टी |
सीटें |
भाजपा |
107 |
कांग्रेस |
88 |
बसपा |
2 |
सपा |
1 |
निर्दलीय |
88 |
खाली सीटें |
28 |
कुल सीटें |
230 |
कोरोना काल में चुनाव कराने पर गाइडलाइन
21 अगस्त चुनाव आयोग ने कोरोना के दौर में चुनाव कराने के लिए गाइडलाइन जारी की थी। आयोग ने कोरोना के चलते उम्मीदवारों को ऑनलाइन नॉमिनेशन भरने की सुविधा दे दी है। हालांकि, इसका प्रिंट निकालकर उम्मीदवार को चुनाव अधिकारी को सौंपना होगा। इसके अलावा थर्मल स्कैनर हर बूथ पर होंगे और एंट्री प्वाइंट पर हर किसी की स्कैनिंग की जाएगी। इसके अलावा हर बूथ पर 1500 की बजाय 1000 वोटरों को बुलाया जाएगा। अगर किसी का टेम्परेचर ज्यादा पाया गया तो वह आखिरी घंटे में ही वोट डाल सकेगा।
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