लोगों की बार-बार मांग के बाद भी नगर पालिका अपने पार्कों को आम लोगों के लिए नियमित नहीं खोल रही है। केवल नेहरू पार्क कुछ समय के लिए खोला जाता है। जबकि मेले वाले बाग का पार्क हमेशा बंद रहता है। लगभग हर महीने पार्क खोले जाने का मुद्दा लोगों की तरफ से उठाया जाता है।
आखरी बार जून 2020 में नागरिकों ने इसके लिए एसडीएम को पत्र दिया था। उस दौरान नगर पालिका ने यह जानकारी दी थी कि सभी पार्क नियमित खोले जा रहे हैं। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। मेले वाले बाग का पार्क पर्यटन विकास निगम ने वर्ष 2011 में गंतव्य विकास परियोजना के अंतर्गत बनाया था। इसमें 100 से ज्यादा देशी-विदेशी विदेशी प्रजाति के पौधे लगाए गए थे और पूरे पार्क को रोशनियों से सजाया गया था। शुरुआत में इसकी व्यवस्था इतनी सुंदर थी कि लोग रोज शाम को इसे देखने आते थे। लेकिन जल्दी ही नगरपालिका ने इस पर से अपना ध्यान हटा लिया। आज इस पार्क की सुरक्षा जालियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं और दरवाजे में जंग लग गई है। अंदर भी अधिकांश पौधे खत्म हो चुके हैं। आम लोगों को पार्क के अंदर गए लंबा समय बीत चुका है।
नगर पालिका के पास नहीं काेई याेजना
खासतौर से बच्चों और बुजुर्गों को। शहर में तसल्ली से कुछ समय बैठकर आराम करने की कोई अच्छी जगह नहीं बची। परशुराम सागर के किनारों का नगर पालिका ने कभी नागरिकों की सुविधा के लिए उपयोग करने की योजना ही नहीं बनाई। जबकि छोटे तालाब का पाथवे असामाजिक तत्वों का अड्डा बन कर रह गया है। ऐसे में सुरक्षित चारदीवारी के बीच घिरे पार्क ही महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुविधा की जगह बचे हैं। लेकिन इन पर भी नगरपालिका का ध्यान नहीं है।
अब केवल मंदिर का ही पार्क बचा : शहर की व्यवस्था नगरपालिका का दायित्व है। लेकिन लोगों के लिए नगर पालिका एक ढंग का पार्क तक नहीं दे पा रही है। ऐसे में शहर से 3 किलोमीटर दूर फोरलेन पर स्थित मारुति नंदन मंदिर का पार्क ही लोगों के लिए बचा है। जहां बेहतर व्यवस्था की वजह से लोग जाना पसंद करते हैं।
पार्कों के लिए बजट निकाला जाएगा
^अलग-अलग स्तरों से मुझे जानकारी मिली है कि पार्क अव्यवस्थित हैं। मैं सभी पार्कों की जानकारी ले रहा हूं। इसके लिए बजट भी निकाला जाएगा।
-संतोष कुमार पाराशर, सीएमओ, नपा
दीनदयाल पार्क 25 साल से अधूरा, जयस्तंभ पार्क में ताला
नगरपालिका का दीनदयाल पार्क पिछले 25 सालों से बन रहा है। लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ। इसके अलावा जय स्तंभ का पार्क हमेशा ताले में बंद रहता है। जमात मंदिर के पास का पार्क नष्ट हो चुका है। लंकापुरी के पार्क को लोगों ने जनभागीदारी से संवारने की कोशिश की थी। लेकिन नगरपालिका ने इस काम को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं ली।
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