राजधानी में पिछले 25 दिनों से अचानक बेतहाशा मरीज निकल रहे हैं। इस वजह से बेड की कमी जैसी कई तरह की दिक्कतें आई हैं, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि अगर किसी की कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट आ गई और उसे कोविड सेंटर जाना है, तो एंबुलेंस के बिना जा नहीं सकता और एंबुलेंस मिल नहीं रही हैं। इसका फायदा उठाते हुए कई निजी एंबुलेंस वालों ने कोरोना मरीज को दो-चार किमी तक ले जाने के लिए 4-4 हजार रुपए तक का किराया वसूलना शुरू कर दिया है। यह लूट इतने संगठित तरीके से हो रही है कि कोई भी इससे कम रेट में कोरोना मरीज को कोविड सेंटर या अस्पताल तक ले जाने के लिए तैयार नहीं है। इस वजह से जरूरतमंद लोगों को एंबुलेंस का मुंहमांगा किराया देने की मजबूरी हो गई है।
सरकारी एजेंसियों ने हर जोन में 2-2 गाड़ियां रखवाई हैं, जिनमें एक एंबुलेंस और एक सिटी बस है। इसका संचालन जोन दफ्तरों से किया जा रहा है। इसके अलावा शहर में 108 एंबुलेंस की 6 गाड़ियां कोविड मरीजों के लिए ही दौड़ रही हैं। लेकिन रोजाना चार-चार सौ मरीज अस्पतालों और कोविड सेंटरों में भर्ती हो रहे हैं, इसलिए सरकारी इंतजाम नाकाफी हैं। इसी कमी का फायदा उठाते हुए निजी एंबुलेंस मनमाना किराया वसूल रहे हैं। भास्कर ने तीन एंबुलेंस वालों से बात की। सभी ने किराया 3 से 4 हजार रुपए ही बताया। कुछ ने ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ और ज्यादा पैसे की मांग की। उसने कहा गया कि चार-पांच किमी ही जाना है, तो कहने लगे कि इतने पैसे ही लगेंगे। कोरोना मरीज है, पीपीई किट और सफाई देखनी पड़ती है, इसके पैसे तो लगेंगे ही।
सीधे एंबुलेंस ड्राइवरों को फोन... उन्हीं से खुलासा
लगातार शिकायत मिल रही थी कि राजधानी में कोरोना मरीजों के लिए एंबुलेंस वाले मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। तब भास्कर ने अलग-अलग निजी एंबुलेंस के ड्राइवरों को काॅल किया और मरीज ले जाने की बात की। इसी बातचीत में वसूली खुलकर सामने आई।
स्टिंग- 1
इंडोर स्टेडियम तक 3500
रिपोर्टर: कोरोना मरीज को सड्डू से इंडोर स्टेडियम कोविड सेंटर ले जाना है।
ड्राइवर (ललित): कब जाना है, चलेंगे।
रिपोर्टर: कितना लगेगा वहां तक पहुंचाने का।
ड्राइवर: 3500 रुपए लगेगा। मरीज को ऑक्सीजन लगी तो 300 रुपए और।
स्टिंग- 2 माना अस्पताल तक 4000 रुपये रिपोर्टर: सड्डू से माना कोरोना अस्पताल में जाना है, चलोगे क्या? ड्राइवर (छोटू): हां बिलकुल ले चलेंगे। रिपोर्टर: कितना किराया लगेगा? ड्राइवर : ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ 4000 लगेंगे। सादे में 2500 से कम नहीं।
स्टिंग- 3 3000 रुपये फिक्स है रेट रिपोर्टर: मेरे घर में कोरोना मरीज हैं। सड्डू से अंबेडकर अस्पताल चलोगे? ड्राइवर (रवि): हां, चलेंगे। 3 हजार रुपए लगेगा। रिपोर्टर: इतने पास का भी 3 हजार। कुछ कम नहीं लगेगा? ड्राइवर: अब यह फिक्स है। कोरोना मरीज कहीं भी ले जाओ, इतना तो लगेगा।
प्रशासन फिक्स करे किराया
सामाजिक कार्यकर्ताओं व स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अफसरों का कहना है कि कोरोना काल में लोग वैसे ही परेशान हैं, उनसे इस तरह की लूट न की जाए। इसके लिए प्रशासन को सख्ती बरतनी होगी। निजी एम्बुलेंस वालों का कोरोना मरीजों को सेंटर तक पहुँचाने का किराया एक हजार के अंदर फिक्स किया जा सकता है। यही नहीं, उनके चालकों को पीपीई किट भी दी जा सकती है, अगर वे साबित करें कि कोरोना मरीज को ले जाना है। यही नहीं, अभी शहर में सिटी बसें बंद हैं। मरीजों को ले जाने के लिए उनका उपयोग भी किया जा सकता है।
एंबुलेंस के लिए इन नंबरों पर कर सकते हैं संपर्क
मनमाना किराया पर रोक लगेगी, तय करेंगे फीस
"राजधानी में कोरोना मरीजों को सेंटर व हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए शहर के सभी जोन में 2-2 गाड़ियां दी गईं हैं। इसके बाद भी कोई मरीज सेंटर तक निजी एम्बुलेंस से जा रहा है तो उससे इतना किराया नहीं ले सकते हैं। वैसे भी ऐसे एम्बुलेंस को हेल्थ विभाग ने अभी अधिकृत नहीं किया है। इनके मनमाने किराए की शिकायत को देखते हुए जिला प्रशासन से भी एक फिक्स शुल्क तय करने को लेकर बात करेंगे, जिससे ये मनमाना पैसा ना ले पाएं।"
-डॉ मीरा बघेल, सीएमएचओ रायपुर
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