Monday, 26th May 2025

इंदौर:प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में इंदौर की क्या अहमियत, बता रहे हैं मुख्यमंंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री

Thu, Sep 17, 2020 5:27 PM

  • शिवराज- इंदौर के ब्रांड स्वच्छता से लोकल को करेंगे वोकल
 

शिवराज सिंह चौहान| मुख्यमंत्री कोरोना के इस संकट में आम जनजीवन को उबारने के लिए लोकल को वोकल ने जितना सहारा दिया, उतना और किसी संसाधन ने नहीं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर ही हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का संकल्प लिया है। इसके तहत हमने भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ अर्थव्यवस्था एवं रोजगार जैसे मुख्यतः चार क्षेत्रों को नामित किया है, जिसके माध्यम से आत्मनिर्भरता के संकल्प को पूरा करेंगे।

 

हमने विषय विशेषज्ञों से चर्चा कर तीन वर्षों के लक्ष्य को सुनिश्चित करते हुए उसे धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी विभाग के प्रमुख अधिकारियों को दी है। इसकी निगरानी के लिए मंत्री समूह का गठन भी किया है। आत्मनिर्भर भारत के रोडमैप हेतु नीति आयोग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अमिताभ कांत ने भी मार्गदर्शन दिया है। इंदौर प्रदेश का व्यवसायिक केंद्र है, इसलिए इसे प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ने का काम करेंगे।

यहां की व्यावसायिक गतिविधियों को विस्तार देने के लिए वायुमार्ग से देश के अन्य शहरों को जोड़ेंगे। इंदौर के स्वच्छता ब्रांड को स्थापित कर सुविधाओं का विस्तार कर रहे हैं। हमने इंदौर को आईटी और एजुकेशन हब के रूप में विकसित किया है। इससे यहां बड़ी-बड़ी शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित हुई हैं और युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इन्क्यूबेशन सेंटर से स्टार्टअप को मौका मिल रहा है।

इंदौर के आसपास मांडू, धार, महेश्वर, ओंकारेश्वर, उज्जैन जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों को मिलाकर सर्किट को विस्तार दे रहे हैं और इस पर काम चल रहा है। इंदौर के प्रायोरिटी काॅरिडोर को पूर्ण करना हमारी प्राथमिकता है। गांधी नगर से मुमताज बाग तक मेट्रो का संचालन जल्द शुरू होगा। यहां नागरिक सुविधाओं को ऑनलाइन कर रहे हैं।

स्ट्रीट वेंडर्स को पंजीकृत कर उन्हें 10 हजार रुपए का ऋण स्वीकृत किया है। ऊर्जा की बचत हेतु एलईडी स्ट्रीट लाइट लगा रहे हैं। जीआईएस आधारित विकास योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इंदौर में 100 प्रतिशत मैकेनिकल स्वीपिंग तथा निर्माण एवं ध्वनि अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देकर वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा रहा है। जीआईएस आधारित संपत्ति सर्वे का काम जल्द पूर्ण होगा। शिक्षा और टेली मेडिसिन भी ऑनलाइन शुरू की है।

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शुरू हो चुका है। यहां यदि नगरीय विकास योजनाबद्ध तरीके से होगा तो रियल स्टेट में भी तेजी आएगी। अधोसंरचना का संबंध सिर्फ कनेक्टिविटी से नहीं है, इसलिए रोजगार, व्यापार एवं महिला सशक्तिकरण जैसे आयामों को साथ लेकर समग्र विकास कर रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों से धनी और संपन्न व मुंबई के निकट होने से इंदौर में औद्योगिक संभावनाओं को जमीन पर उतारने का काम कर रहे हैं।

उद्यानिकी आधारित उद्योगों से बनेगी शहर की नई पहचान- कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री

 

कमलनाथ ने कहा कि इंदौर प्रगति और उद्यमिता का प्रतीक शहर है। यहां के लोगों में, रहन-सहन में, खान-पान सबमें सबसे जीवंतता है। इस शहर ने समय-समय पर अपनी ऊर्जा, उत्साह को प्रकट कर इंदौर को जो गौरव दिलवाया है, वह सराहनीय और प्रेरक है। इंदौर वह स्थान है, जहां से हम प्रदेश की उन्नति के नए द्वार खोल सकते हैं। इसके लिए जरूरी है, एक ठोस यथार्थवादी यानी रियलिस्टिक फ्यूचर प्लान बने। इसमें इंदौर के हर क्षेत्र का सघन विश्लेषण करके भविष्य का नक्शा तैयार करना होगा।

यह एक ऐसा स्थान है, जहां से हम आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकते हैं, जिसका लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा। 20-30 साल बाद का इंदौर कैसा होगा, विस्तार की संभावनाएं क्या हैं, लैंड रिसोर्स कितना उपलब्ध होगा, मानव संसाधन कितना बढ़ेगा, कौन से कौशल की ज्यादा जरूरत होगी, इसका रोड मेप बनाना पड़ेगा। इंदौर आईटी हब बन रहा है। अब जरूरत है कि एक कदम आगे बढ़कर हम इंदौर को देश का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हब बनाएं। अगर इस दिशा में प्रयास करें तो इंदौर को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। रोजगार निर्माण की दृष्टि से इंदौर में एमएसएमई का भी हब बनने की बहुत संभावनाएं हैं।

नमकीन उद्योग इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। इस दिशा में मेरी सरकार ने काम भी किया था। उद्यानिकी आधारित छोटी इकाइयों का एक क्लस्टर आसानी से बनकर नई पहचान बना सकता है। इससे रोजगार के अवसर के साथ-साथ संपूर्ण मालवा-निमाड़ की आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। इंदौर का समृद्धशाली कला एवं संस्कृति का इतिहास है और पहचान मिनी मुंबई के रूप में है। फिर ये मप्र का बॉलीवुड क्यों नहीं बन सकता? लोकेशंस, प्रतिभाओं, मेनपॉवर, इन्फ्रास्ट्रक्चर्स की कोई कमी नहीं है। रोजगार निर्माण के लिए भी यह क्षेत्र सक्षम है।

जरूरत ऐसी सोची-समझी बेहतर रणनीतिक योजना और दृष्टि के साथ एक संस्‍थागत सपोर्ट की, जिसके अभाव से ही इंदौर फिल्‍म जगत में वह मुकाम हासिल नहीं कर पाया, जिसका हकदार है। 15 वर्ष का कीमती समय बातों में ही निकल गया। इंदौर के नागरिक चेतना संपन्‍न हैं। इसे और आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि इसका बेहतर उपयोग किया जा सके। इंदौर को संवारने, भविष्‍य को देखने-समझने और आने वाले परिवर्तनों का सही-सही अंदाज लगाते हुए काम करने वाली लीडरशिप भी चाहिए। विकासात्‍मक सोच वाली लीडरशिप हर क्षेत्र को मिल जाए तो इंदौरी भाषा में हमारा इंदौर चमन हो जाए।

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