धन्वंतरि नगर निवासी 61 वर्षीय मरीज को पिछले शनिवार रात सांस लेने में दिक्कत हुई। रात को ही परिजन निजी अस्पताल ले गए। वहां बेड नहीं मिला तो दूसरे निजी अस्पताल पहुंचे। वहां भी यही स्थिति बताई।
इसके बाद चोइथराम अस्पताल ले गए। सीटी स्कैन करवाने पर कोविड-19 का संक्रमण मिला। लेकिन आईसीयू खाली नहीं होने पर फिर एक अन्य निजी अस्पताल ले गए। आखिरकार मरीज ने दम तोड़ दिया। ऐसी ही स्थिति एडवोकेट अचला जोशी के मामले में हुई थी।
दो अस्पतालों में बेड नहीं मिले और जान चली गई। फोन पर ही अस्पताल से जवाब मिल रहा है बेड खाली नहीं है। जबकि प्रशासन ने 28 निजी अस्पतालों में 30% बेड कोविड के लिए रिजर्व किए हैं। 537 आईसीयू में से 158 और 949 एचडीयू में 364 बेड खाली हैं।
केस 1 : तीन अस्पतालों ने लौटाया, अफसर बोले, तब किया गया भर्ती
गुना से एक मरीज इंदौर पहुंचा। वह कोरोना संक्रमित था। शहर के तीन अस्पतालों में यह कह दिया था कि बेड खाली नहीं है। इस पर सुबह 4.30 कोविड नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार के फोन पर घंटी बजती है। वह चोइथराम में बात करते हैं, जिसके बाद मरीज को वहां भर्ती किया जा सका।
केस 2 : कई अस्पतालों में किया फोन, तब एक में मिला वेंटीलेटर
अरबिंदो में सांस की तकलीफ के कारण मरीज को भर्ती किया। कोविड जांच नेगेटिव आई, पर मरीज को वेंटीलेटर की जरूरत थी। अरबिंदो में वेंटिलेटर खाली नहीं था। इसलिए मरीज को दूसरे अस्पताल रैफर करना पड़ा। इसके लिए कई अस्पतालों में फोन किए। मुश्किल से चोइथराम में बेड मिल पाया।
केस 3 : कोविड आईसीयू फुल, दूसरे अस्पतालों में की गई गुहार
निजी अस्पताल में भर्ती कोविड पॉजिटिव मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी। वह सामान्य आइसोलेशन वार्ड में था। ऑक्सीजन लेवल कम हुआ तो आईसीयू में शिफ्ट करना था, पर 4 बेड की क्षमता का कोविड आईसीयू फुल था। अन्य अस्पतालों में गुहार की गई।
केस 4 : वेंटिलेटर खाली नहीं, दूसरे अस्पताल में 3 दिन बाद हो गई मौत
युवती को सांस लेने में तकलीफ हुई। निजी अस्पताल में भर्ती किया। जांच पॉजिटिव आई। वेंटिलेटर खाली नहीं होने पर दूसरे अस्पताल जाने को कहा। अरबिंदो ले गए तो वेंटीलेटर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। जैसे-तैसे जगह मिली, पर तीन दिन बाद युवती की मौत हो गई।
आईसीयू बेड की दिक्कत है : नोडल अधिकारी
कई बार मरीज का ऑक्सीजन लेवल अचानक कम हो जाता है। ऐसे में उसे आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है। जबकि वहां बेड पहले से फुल होता है। निजी अस्पतालों में भी बेड संख्या बढ़ाई है। जो अस्पताल भर्ती नहीं कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई करेंगे। - डॉ. अमित मालाकार, नोडल अधिकारी, कोविड
Comment Now