Sunday, 25th May 2025

राज्यपाल का राष्ट्रपति को सुझाव:प्राइमरी के सिलेबस में शामिल करें आदिवासी वर्ग की बोलियां, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो स्थानीय साहित्य

Tue, Sep 8, 2020 2:50 PM

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर मांगे सुझाव
 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर राज्यपालों व उपराज्यपालों और विवि के कुलपतियों से सुझाव लिए। इसमें राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि जिन राज्यों में जहां पर जनजातियों की संख्या अधिक है वहां पर जनजाति-भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति करने और नियुक्ति में क्षेत्रीय, जनजाति-गोंडी भाषा के शिक्षकों के लिए पद आरक्षित हों।

सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी अपना संबोधन दिया। उइके ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में सुझाव देते हुए कहा कि बस्तर एवं सरगुजा जैसे आदिवासी अंचलों में मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभ किए जाएं। इससे इन क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो सकेगा। आदिवासी युवाओं को बेहतर शिक्षण संस्थानों मिल सकेंगे। कृषि की उच्च शिक्षा में ऐसे अध्ययन एवं अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे कृषि की शिक्षा में गुणवत्तापूर्वक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान कार्य हो सकें। छत्तीसगढ़ के युवा कृषि शिक्षा को एक कैरियर के रूप में चुन सके। इससे राज्य के युवा रोजगारोन्मुख एवं व्यवसाय की ओर अग्रसर हो सकेंगे।

शुल्क एवं प्रशासन नियामक आयोग बने
उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय साहित्य पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। अतः महाविद्यालय स्तर पर छत्तीसगढ़ी भाषा के अध्ययन के लिए लेखकों, साहित्यकारों को साहित्य उपलब्ध कराने प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शासकीय महाविद्यालयों में छात्रों के शुल्क एवं प्रशासन नियामक आयोग का भी गठन किया जाए। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये अनाधिकृत पाठ्य सामाग्री के प्रकाशन को प्रतिबंधित किया जाए। इससे विद्यार्थी अच्छी पाठ्य सामग्री को पढ़ने के लिए बाध्य हो। उइके ने ई-पाठ्यक्रम का लाभ दूरस्थ ग्रामीण अंचल तथा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में निवासरत विद्यार्थियों को मिलना सुनिश्चित किए जाने पर जोर दिया। साथ ही छत्तीसगढ़ में विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा का अध्यापन छत्तीसगढ़ी भाषा में कराया जाना अत्यंत ही हितकारी बताया। राज्यपाल उइके ने कहा कि इस शिक्षा नीति में स्कूली बच्चों को बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करने का उपाय किया गया है। कक्षा 6वीं से ही विद्यार्थियों को व्यवसायिक एवं कौशल की शिक्षा प्रदान कर इंटर्नशिप कराने से, बच्चे शिक्षा के प्रति प्रेरित एवं जागरूक होंगे।

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