Sunday, 25th May 2025

स्मृति शेष:राष्ट्रपति के रूप में तीन बार आए थे प्रणब, छत्तीसगढ़ को विकास में सबसे तेज कहा था

Tue, Sep 1, 2020 4:56 PM

  • सरकार ने प्रदेश में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की
 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति रहते हुए तीन बार छत्तीसगढ़ आए थे। 2012 में जब वे राज्योत्सव में शामिल होने पहुंचे थे, तब यहां हो रहे विकास कार्यों को देखकर कहा था कि छत्तीसगढ़ सबसे तेज विकासमान राज्य बनकर उभरा है। उस दौरे में उन्होंने नए मंत्रालय परिसर और स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया था। साथ ही, नारायणपुर में जनजाति कल्याण विभाग के 500 सीटर छात्रावास और रामकृष्ण मिशन आश्रम के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के भवन की आधारशिला भी रखी थी। इसके अलावा 26 जुलाई 2014 को वे रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह और 17 अप्रैल 2015 को आईआईएम रायपुर के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे। इससे पहले 2007 में वे विदेश मंत्री रहते हुए रायपुर आए थे और यहां नवीन पासपोर्ट कार्यालय का उद्घाटन किया था। प्रणब के निधन के बाद सभी राजनीतिक, सामािजक व बौद्धिक संगठनों ने श्रद्धांजलि दी है।

आठ साल बाद भी विवेकानंद की प्रतिमा नहीं
प्रणब ने 2012 में एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लोकार्पण के समय कहा था कि स्वामी विवेकानंद ने कोलकाता के बाद सबसे लंबा समय रायपुर में बिताया था। यह खुशी की बात है कि एयरपोर्ट उनके नाम पर रखा गया है, लेकिन यहां स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा भी लगनी चाहिए। हालांकि आठ वर्ष बाद भी प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकी है। इसी दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी शहरों को विमान सेवा से जोड़ने पर भी जोर दिया था। 26 जुलाई 2014 को पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने प्रतिभावान छात्रों के उच्च शिक्षा से वंचित रहने को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि कतिपय कारणों से हमारे देश के बहुत से प्रतिभावान विद्यार्थी अभी भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर से वंचित हैं। कठिन आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले प्रतिभावान विद्यार्थियों की मदद छात्रवृत्तियों, ऋण से करने पर जोर दिया था।

भविष्य में सर्वांगीण विकास की संभावना
छत्तीसगढ़ को विपुल मात्रा में प्राकृतिक संसाधन मिले हैं। 41% वन है। यहां लौह अयस्क, एल्यूमिनियम, बॉक्साइट, टिन तथा कोयले जैसे खनिजों की बहुतायत है। वर्ष 2000 में स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ सबसे तेजी से विकासमान राज्य बनकर उभरा है। यह भविष्य में सर्वांगीण विकास की संभावनाओं से युक्त है।

कांग्रेस संगठन भी शोकाकुल
मुखर्जी के निधन पर कांग्रेस भी शोकाकुल है। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, डॉ चंदन यादव और अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि यह देश की अपूरणीय क्षति है। कांग्रेस परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिये भगवान से प्रार्थना करता है तथा यह भी कामना करता है कि शोक संतप्त मुखर्जी परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति भगवान प्रदान करे। उनके निधन पर रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन, शैलेश नितिन त्रिवेदी, रवि घोष, चंद्रशेखर शुक्ला, राजेंद्र तिवारी, रमेश वर्ल्यानी,दीपक कुमार दुबे, आरपी सिंह, सुरेंद्र शर्मा,सुशील आनंद शुक्ला, किरणमयी नायक, विकास दुबे,घनश्याम राजू तिवारी, धनंजय ठाकुर, विकास तिवारी, मोहम्मद असलम, सुरेंद्र वर्मा, एम ए इकबाल, वंदना राजपूत आदि ने श्रद्धासुमन अर्पित की है।

"मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में कई अहम निर्णय लिए, जो देश की प्रगति में महत्वपूर्ण आधारस्तंभ बनें। देश ने एक विद्वान व्यक्ति को खो दिया है।"
- अनुसुइया उइके, राज्यपाल

"भारत रत्न मुखर्जी का निधन हम सबके लिए राष्ट्रीय क्षति है। उन्होंने समाज के हर वर्ग के हित के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।"
- भूपेश बघेल, सीएम

"पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन की खबर आघात पहुंचाने वाली है। उनका पूरा जीवन मां भारती की सेवा करते हुए गुजरा। ईश्वर उन्हें श्रीचरणों में स्थान दें।"
- डॉ. रमन सिंह, पूर्व सीएम

"प्रणब दा का निधन एक युग का अवसान है। एक कुशल प्रशासक, मुखर राजनेता के तौर पर उन्होंने राजनीतिक जीवन की ऊंचाई को स्पर्श किया।"
-विष्णुदेव साय, भाजपा अध्यक्ष

"पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न प्रणब मुखर्जी का आकस्मिक निधन अत्यंत दुखद है। उन्हें भारतीय संसदीय परंपराओं के उपासक के रूप में सदैव याद किया जाएगा।"
-धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष

"प्रणब मुखर्जी के साथ राजनीति का एक युग समाप्त हो गया। अनुभवी, कुशल व दूरदर्शी राजनीतिज्ञ के अलावा प्रणब दा विद्वानऔर जनप्रिय नेता थे।"
-डॉ. सरोज पांडेय, राज्यसभा सांसद

"पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र के लिए अत्यंत समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ सेवा की। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।"
-अजय चंद्राकर, पूर्व मंत्री

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