'हाइपर-इन्फ्लेमेंटरी सिंड्रोम' से जूझ रहे पुणे के एक सात साल के एक बच्चे का शनिवार को सफलतापूर्वक इलाज किया गया। यह बिमारी कोविड-19 से जूझ रहे पेशेंट में सबसे जानलेवा मानी जाती है। बच्चे ने 11 दिन में इस मात दी है।
जानकारी के मुताबिक, पुणे नगर निगम के एक कर्मचारी का बेटा तीन सप्ताह पहले अपने माता-पिता और भाई के साथ ही खुद भी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गया था। माता-पिता और भाई पहले से संक्रमण से मुक्त हो गए थे, लेकिन में बच्चे में इसके खतरनाक लक्षण दिख रहे थे। जिसके बाद उसका एडवांस टेस्ट करवाया गया और उसमें 'हाइपर-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम' की जानकारी मिली।
क्या होता है 'हाइपर-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम'?
बच्चे का इलाज करने में शामिल डॉक्टर भक्ति सारंगी ने कहा कि इस खतरनाक बीमारी में महत्वपूर्ण अंगों समेत पूरे शरीर में सूजन आ जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक, लड़के को दो दिन से उल्टी, पेट में दर्द और बुखार की शिकायत के बाद 10 अगस्त को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसकी हालत नाजुक थी क्योंकि उसकी पल्स रेट हाई थी और ब्लडप्रेशर कम था।
दवाइयों से सिर्फ 12 घंटे में उतर गया बुखार
सारंगी ने कहा कि तीन दिन की मशक्कत के बाद भी उसकी सेहत में सुधार नहीं दिख रहा था लेकिन उसके बाद दी गई दवाइयों से 12 घंटे के भीतर ही बुखार और पेट दर्द से आराम मिल सका। उन्होंने कहा कि 11 दिनों तक इलाज के बाद लड़के को अस्पताल से छुट्टी दी गई।
पुणे में 92 हजार से ज्यादा संक्रमित मरीज
पुणे नगर निगम के मेयर मुरलीधर मोहोल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पुणे में कोविड-19 के मामले की गिनती शनिवार को पिछले 24 घंटे में 1,968 से बढ़कर 92,839 हो गई। उन्होंने कहा कि संक्रमण के कारण 46 लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद मरने वालों की संख्या 2,232 हो गई है। पिछले 24 घंटों में 1,657 मरीजों को छुट्टी भी दी गई है। रिकॉर्ड के अनुसार, 75,184 लोग अब तक इस बीमारी को मात दे चुके हैं।
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