Sunday, 20th July 2025

खेल रत्न द्रोणाचार्य पुरस्कार:मलखंभ में पहला द्रोणाचार्य अवाॅर्ड पाने वाले उज्जैन के योगेश की ऐसी है कहानी, घाट पर कपड़े धोए, कंठी माला तक बेची

Sun, Aug 30, 2020 12:18 AM

  • योगेश का बचपन अभावों में गुजरा, पिता ड्रायक्लीन की दुकान संचालित करते थे
  • आर्थिक संकट के चलते घर चलाने के लिए याेगेश ने घाट पर लोगों के कपड़े धोए, उन पर प्रेस की
 

राष्ट्रीय खेल दिवस पर शनिवार को केंद्र सरकार की तरफ से उज्जैन के रहने वाले 40 साल के योगेश मालवीय को मलखम्भ में देश का पहला खेल रत्न ‘द्रोणाचार्य अवाॅर्ड’ दिया गया। कोविड-19 नियमों की वजह से ये अवाॅर्ड योगेश को राष्ट्रपति ने ऑनलाइन कार्यक्रम में वर्चुअली दिया। योगेश ने अभावों के बीच मलखंभ साधना को जारी रखा। किसी भी खेल में प्रशिक्षक के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए द्रोणाचार्य अवाॅर्ड दिया जाता है।

2012 में मलखंभ प्रशिक्षक के रूप में योगेश को राज्य शासन की ओर से विश्वामित्र अवाॅर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
2012 में मलखंभ प्रशिक्षक के रूप में योगेश को राज्य शासन की ओर से विश्वामित्र अवाॅर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

5 साल की उम्र से मलखंभ खेलना शुरू किया
भारतीय मलखंभ महासंघ के अध्यक्ष डॉ. रमेश हिंडोलिया ने बताया कि देश में मलखंभ के लिए यह पहला द्रोणाचार्य अवॉर्ड है। योगेश शहर में ही गुदरी चौराहा क्षेत्र में रहते हैं। वे 5 साल की उम्र से मलखंभ कर रहे हैं। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र से खुद मलखंभ करने के साथ इसका प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ योगेश मालवीय और उनके शिष्य।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ योगेश मालवीय और उनके शिष्य।

धोबी घाट पर कपड़े धोए, कंठी-माला भी बेचा
योगेश के पिता धर्मपाल मालवीय महाकाल मंदिर के समीप प्रेस और ड्रायक्लीन की दुकान संचालित करते थे। आर्थिक संकट के चलते बचपन से ही योगेश उनकी दुकान संभालने लगे। धोबी घाट पर जाकर कपड़े धोने और प्रेस करने के साथ उन्होंने अपना मलखंभ का अभ्यास भी जारी रखा। शुरुआत में उन्होंने कबड्‌डी के खेल में अभ्यास किया, लेकिन धीरे-धीरे वे मलखंभ और योग के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। 2006 में महाकाल क्षेत्र में पिता के साथ भक्ति भंडार की दुकान खोली। प्रशिक्षण देने के बाद नियमित यहां कंठी-माला बेचने का कार्य भी किया।

योगेश और उनके शिष्य 15 से ज्यादा टीवी रियलिटी शो में भी सहभागिता कर चुके हैं।
योगेश और उनके शिष्य 15 से ज्यादा टीवी रियलिटी शो में भी सहभागिता कर चुके हैं।

योगेश को वर्ष 2012 में मिल चुका है राज्य शासन से विश्वामित्र अवार्ड

  • योगेश देशभर में मलखंभ प्रशिक्षक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। इसी वजह से 2006 में शाजापुर में खेल एवं युवक कल्याण विभाग में उनकी मलखंभ डिस्ट्रिक्ट कोच के रूप में नियुक्ति की गई।
  • 2012 में मलखंभ प्रशिक्षक के रूप में ही उन्हें राज्य शासन की ओर से विश्वामित्र अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2010 में भोपाल में लाल परेड मैदान पर हुए मलखंभ के प्रदर्शन में भी योगेश को शासन की ओर से प्रथम पुरस्कार दिया गया।
  • 2018 में राजपथ पर भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा शामिल की गई मलखंभ की झांकी में भी उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला।
  • उनके शिष्य मप्र के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने मलखंभ में रोप, पोल व हैंगिंग मलखंभ में स्वर्ण पदक हासिल किए।
  • योगेश और उनके शिष्य 15 से अधिक टीवी रियलिटी शो में भी सहभागिता कर पूरी दुनिया में मलखंभ की पताका फहरा चुके हैं।
  • सोनी टीवी पर इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा शो में वह पांच बार वीकली विनर रहे। इंडियाज गॉट टैलेंट में भी वे और उनकी टीम फर्स्ट रनर अप रही।
  • उनके शिष्य पंकज सोनी और चंद्रशेखर चौहान (2014) को विक्रम अवाॅर्ड, तरुणा चावरे को 2018 में विश्वामित्र अवाॅर्ड मिल चुका है।

इसलिए योगेश का नाम द्रोणाचार्य के लिए नामित
योगेश 27 साल से मलखम्भ कोच के रूप में एक्टिव हैं। भागसीपुरा स्थित अच्युतानंद व्यायामशाला में 5 साल की उम्र से योगेश ने मलखम्भ खेलना शुरू किया था। मध्य प्रदेश सरकार से विश्वामित्र अवॉर्ड प्राप्त करने के कुछ साल बाद उनकी शिष्या तरुणा चावरे भी विश्वामित्र प्राप्त कर चुकी हैं। इसके अलावा उन्हीं के दो खिलाडी विक्रम और एक खिलाड़ी प्रभाष जोशी अवॉर्ड प्राप्त कर चुका है।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery