झारखंड का जामताड़ा मॉड्यूल अब मप्र के श्योपुर, शिवपुरी और ग्वालियर में भी पैर पसार रहा है। इन क्षेत्रों में बैठकर जालसाज कभी बैंक अफसर बनकर तो कभी यूपीआई लिंक भेजकर लोगों के बैंक खातों में सेंध लगा रहे हैं। भोपाल सायबर क्राइम पुलिस को हर महीने इस तरह करीब 300 शिकायतें मिलती हैं। इनमें से 8 से 10 फीसदी जालसाजी इन्हीं तीन जिलों से हो रही है। राज्य सायबर पुलिस के मुताबिक ये गैंग प्रदेश के लोगों के खातों से हर महीने 50 से 70 लाख रुपए की ठगी कर रही है।
ये खुलासा दो महीने पहले श्योपुर से पकड़े गए छह सदस्यीय गिरोह ने किया था। गिरोह के सरगना ने छह साल पहले हरियाणा में इस जालसाजी की ट्रेनिंग ली थी। फिर उसने खुद ट्रेनर बनकर 25 गिरोह तैयार कर दिए। यही गिरोह शिवपुरी व ग्वालियर के डबरा क्षेत्र से ऑपरेट कर रहे हैं। एएसपी भोपाल सायबर क्राइम संदेश जैन के मुताबिक 26 अगस्त को पकड़े गए गिरोह के सदस्यों से भी पूछताछ में अहम सुराग हाथ लगे हैं। ये सभी गैंग जामताड़ा, दुमका और देवघर से की जाती है।
हिंदी भाषी प्रदेश टारगेट पर
ये जालसाज हिंदी भाषी प्रदेशों के लोगों को ही ज्यादा निशाना बनाते हैं। इनमें उप्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मप्र, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, कोलकाता शामिल हैं। आरोपी व्यक्ति के एटीएम से जुड़ी जानकारियां हासिल कर लेते हैं।
ऐसे काम करती है जामताड़ा गैंग
पुलिस से बचने के लिए झारखंड के तीनों जिलों में जालसाजों के ज्यादातर ठिकाने घने जंगल के बीच बनाए जाते हैं। महज 10वीं या 12वीं पास बेरोजगार युवकों को तनख्वाह पर रखकर देशभर में जालसाजी करवाई जाती है। बाकायदा कॉल सेंटर की तर्ज पर काम करते हुए ये गिरोह लोगों को कॉल कर उन्हें झांसा देते हैं।
जामताड़ा जैसे गिरोह हैं, उन्हें ट्रैक कर रहे हैं
राज्य सायबर, एसपी, गुरुकरन सिंह ने कहा कि क्राइम मप्र में भी झारखंड के जामताड़ा जैसे कुछ गिरोहों के संचालित होने का इनपुट है। हम उन्हें ट्रैक कर रहे हैं। लोगों को भी यह समझना होगा कि कोई भी बैंक आपके खाते की गोपनीय जानकारी नहीं पूछता है।
भोपाल में...हर महीने किस बेल्ट से कितने फीसदी शिकायतें
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