सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम किसानों की आर्थिक स्थिति को बिगड़ने नहीं दे रहे हैं। दो किस्त दे चुके हैं और बाकी किस्त भी देंगे। कर्ज करना पड़े तो हम कर्ज करेंगे, लेकिन किसानों को भूखा नहीं मरने देंगे, फांसी पर नहीं लटकने देंगे। बघेल ने कहा कि आपकी नजर में विकास का पैमाना सड़कें और बिल्डिंग हो सकती हैं, लेकिन हमारी नजर में विकास का पैमाना किसान, आदिवासियों और महिलाओं का उत्थान है। हमारी वचनबद्धता किसानों के प्रति है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम किसानों को पैसा देकर अहसान नहीं कर रहे हैं। विधानसभा में 3807 करोड़ का अनुपूरक बजट पास हुआ। इस पर चर्चा का जबाव देते हुए सीएम बघेल ने कहा कि जब हम 2003 में सरकार से गए तब खजानेे में चार सौ करोड़ थे। जब 15 साल बाद सरकार में आए तब 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। आपने किसानों को न बोनस दिया, न ही 21 सौ में धान खरीदी। सीएम ने कहा कि आपने नई राजधानी के लिए कर्ज लिया। स्काई वाॅक के लिया। बार-बार बनाने और तोड़ने के लिए कर्जा लिया। सीएम ने कहा कि पांच महीने बाद भी केंद्र सरकार ने जीएसटी की फूटी कौड़ी भी नहीं दी। यदि ये पैसा आ जाता तो हमें कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती। कोरोना ने पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर दिया। हमारी रोजी-रोटी छिन गई। उद्योग, रेलमार्ग, ट्रांसपोर्ट बंद हो गया। ऐसे समय में कह सकता हूं कि हमने गांधी, कबीर, गुरुनानक, विवेकानंद, भगत सिंह, अंबेडकर की सेवाभाव को अपनाया। हमने गांधी, गांव और गाय को अपनाया। संकट की घड़ी में सामाजिक संगठन सामने आए और शहरों-गांवों में राशन पहुंचाने के साथ सभी प्रकार की मदद की। हर विभाग के लोगों ने 24 घंटे पूरी जिम्मेदारी के साथ काम किया।
जब आप ताली बजवा रहे थे, तब हम राशन बांट रहे थे : सीएम बघेल ने कहा कि कोरोना योद्धा की बात ही है तो निश्चित रूप से उन्होंने ऐसा काम किया है, क्योंकि जिस समय आप ताली बजवा रहे थे, तब हमारे खाद्यमंत्री 56 लाख परिवारों के लिए राशन बंटवा रहे थे। जब आप थाली बजवा रहे थे, तब हमारे महिला बाल विकास मंत्री सूखा राशन कैसे पहुंचे इसकी व्यवस्था करवा रहे थे। जब आप मोमबत्ती जलवा रहे थे तब कृषि और परिवहन मंत्री गांव की बाड़ी से सब्जी शहर कैसे पहुंचे इसकी व्यवस्था करवा रहे थे। जब लॉकडाउन की खुशी में डांस कर रहे थे, तब हमारे पंचायत मंत्री मनरेगा का काम शुरू करवा रहे थे। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हम 21 प्रकार के लघु वनोपज खरीद रहे हैं। सीएम ने कहा कि कोरोना काल में हमने उद्योगों को बंद नहीं हाेने दिया। जिस मनरेगा को आपके नेता ने कांग्रेस की असफलता का स्मारक बताया, वही आज देशभर में लोगों को रोजगार दे रहा है। केंद्र सरकार किसानों को पांच सौ रुपए दे रही है, लेकिन हमारे यहां के किसान जिनके पास जमीन नहीं है, वह भी गोबर बेचकर 800 रुपए कमा रहा है। सीएम ने कहा कि रोका-छेका हमारी परंपरा है, लेकिन अभी पशुपालन घाटे का सौदा हो गया है।
नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में भूपेश का पीएम को पत्र
सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध किया है। सीएम बघेल ने लिखा है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे आदिवासियों को धक्का पहुंचा है और उनमें असंतोष पनप रहा है। सीएम ने इस फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। सीएम बघेल ने लिखा है कि एनएमडीसी द्वारा करीब 20 हजार करोड़ की लागत से बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट का निकट भविष्य में प्रारंभ होना संभावित है। इस स्टील प्लांट के प्रारंभ होते ही बस्तर की बहुमूल्य खनिज संपदा का दोहन बस्तर स्थित एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट में होगा। इससे राष्ट्र निर्माण में सहयोग प्रदान करने के साथ ही क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। विगत दिनों से जानकारी प्राप्त हुई है कि केंद्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट को निजी लोगों के हाथों में बेचने की तैयारी में है। केंद्र के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा।
केंद्र के इस फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे हैं। इनके बीच शासन-प्रशासन के विरुद्ध असंतोष की भावना व्याप्त हो रही है। सीएम ने पीएम से कहा है कि वे इस बात से भली-भांति अवगत होंगे कि राज्य सरकार के अथक प्रयासों से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है। नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण होने से नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के असंतोष का अनुचित लाभ उठाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
610 हेक्टेयर निजी जमीन का अधिग्रहण : सीएम बघेल ने बताया कि नगरनार स्टील प्लांट के लिए करीब 610 हेक्टेयर निजी जमीन का सार्वजनिक प्रयोजन के लिए अधिग्रहण किया गया है।नगरनार स्टील प्लांट में 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन आज भी छत्तीसगढ़ सरकार की है। इसमें से केवल 27 हेक्टेयर जमीन 30 वर्षों के लिए सशर्त एनएमडीसी को दी गई है, बाकी पूरी शासकीय जमीन छत्तीसगढ़ शासन के स्वामित्व की है। जो जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित की है, उसकी पहली शर्त यही है कि उद्योग विभाग द्वारा भूमि का उपयोग केवल एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किए जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जाएगा। राज्य में आदिवासियों के हितों व उनके नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिए पेसा कानून लागू है। छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के हितों की सुरक्षा के लिए कृत संकल्पित है। सीएम ने बताया कि पिछले माह ही एनएमडीसी के बैलाडिला स्थित 04 लौह अयस्क के खदानों को 20 साल की अवधि के लिए विस्तारित किया गया है। इससे बस्तर क्षेत्र में रोजगार के नित नए अवसर सृजित होते रहें। इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा मिले तथा यहां की जनता विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकें।
Comment Now