चुनाव आयोग पर मतदाता पहचान पत्र की जानकारी साझा किए जाने के आरोप लगने के बाद आयोग ने इसे लेकर सफाई दी है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह अपने 2008 के दिशानिर्देशों से बिल्कुल भी नहीं हटा है। वह फोटो पहचान पत्र से जुड़ी जानकारियां किसी भी सरकारी विभाग के साथ साझा नहीं कर रहा है। इस बारे में आ रही रिपोर्ट पूरी तरह से असत्य हैं।
सोशल मीडिया पर हाल ही में ऐसी कई पोस्ट आईं जिनमें कहा गया कि चुनाव आयोग मतदाता पहचान पत्र में दर्ज सूचनाओं को अन्य सरकारी विभागों से साझा कर रहा है। यह पूर्व में जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। इसके बाद से ही सवा उठने शुरू हो गए थे। हालांकि, बाद में आयोग ने कहा, वह इस बारे में 2008 में बने दिशानिर्देशों पर पूरी तरह से कायम है। वह 16 जुलाई, 2020 को दिए गए आदेशों के अनुसार कार्य कर रहा है। कुछ प्रावधानों को छोड़कर कभी भी मूल दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं किया गया है।
आयोग के बयान में कहा गया है कि कुछ आपराधिक मामलों की जांच के सिलसिले में मतदाता पहचान पत्र की जानकारी साझा की जा सकती है। इसका मूल दिशानिर्देश में प्रावधान है। लेकिन रोजमर्रा के कार्यों के लिए किसी विभाग या जांच एजेंसी को नियमित रूप से जानकारियां देने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर कोई राजनीतिक दल या व्यक्ति इस तरह की कोई जानकारी चुनाव आयोग के संज्ञान में लाता है तो निश्चित तौर पर उसकी बतौर प्रावधान जांच की जाएगी और कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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