Sunday, 25th May 2025

CGPSC Exam : छत्तीसगढ़ पीएससी द्वारा 2003 से अब तक ली गईं सभी परीक्षाएं विवादों में

Tue, Aug 25, 2020 6:41 PM

CGPSC Exam : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य लोकसेवा आयोग (पीएससी) की वर्ष 2003 से लेकर 2019 तक की परीक्षाएं विवादों के घेरे में रही हैं। इस दौरान आठ परीक्षाएं हुईं। सभी परीक्षाएं विवाद के कारण हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। सर्वाधिक विवाद वर्ष 2003 में हुई परीक्षा को लेकर है। इसमें हाई कोर्ट ने चयन सूची को रद कर नए सिरे से मेरिट सूची बनाने और पदस्थापना का आदेश जारी किया था। इस पर अमल होने की स्थिति में आधा दर्जन डिप्टी कलेक्टर निचले संवर्ग में चले जाते, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। वर्ष 2005 और 2008 में सिविल जज की भर्ती परीक्षा भी विवादों में है। दोनों ही मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। वर्ष 2019 की परीक्षा में मॉडल आंसर को लेकर विवाद है।

हाई कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि वर्ष 2003 पीएससी मेंस के सभी वैकल्पिक विषयों की री-स्केलिंग की जाए। साथ ही मानव विज्ञान के पेपर की जांच मापदंड के आधार पर हो। इस फैसले के बाद चयनित 147 अधिकारी सीधे प्रभावित हो रहे थे। हाई कोर्ट के फैसले को डिप्टी कलेक्टर पद्मिनी भोई, संजय चंदन त्रिपाठी समेत आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। प्रारंभिक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। पीएससी के जानकारों का कहना है कि री-स्केलिंग के बाद कुछ उम्मीदवार नए सिरे से मेरिट सूची में शामिल होते और कुछ बाहर हो जाते।

 
 

 

वर्ष 2003 में पीएससी द्वारा की गई गड़बड़ी दो साल तक छिपी रही। वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार कानून लागू किया। इसके बाद उम्मीदवार रविंद्र सिंह, वर्षा डोंगरे समेत अन्य ने आरटीआइ के जरिए जानकारी मांगी। इसी आधार पर इन उम्मीदवारों ने वर्ष 2005 में गड़बड़ी को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के नोटिस के बाद पीएससी ने वर्ष 2005 में ही स्वीकार कर लिया था कि चयन में उनसे गलती हुई है। ऐसे में 2016 तक मामला लटका रहा और 11 साल बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के हक में फैसला सुनाया, लेकिन यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट चला गया।

ऐसे हुआ मामला उजागर

वर्ष 2003 की परीक्षा का आरटीआइ में मिले दस्तावेज में खुलासा हुआ कि एक पेज लिखने वाले उम्मीदवार को 60 में 55 अंक मिले हैं। उसी विषय में सभी जवाब लिखने वाले को 10 से 15 अंक मिले थे। स्केलिंग में भी नंबर बराबर होने के बाद भी एक ही विषय वालों के नंबर काफी बदल गए।

सिविल जज भर्ती परीक्षा में विवाद

पीएससी ने वर्ष 2019 में सिविल जज के 39 पदों के लिए परीक्षा ली। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि परीक्षा में पूछे गए 100 में से 70 प्रश्नों में स्पेलिंग मिस्टेक है। हाई कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी करने के साथ ही अगली सुनवाई तक मुख्य परीक्षा के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने पर रोक लगा दी है।

वर्ष 2019 में आयोजित परीक्षा में भी विवाद की स्थिति है। मॉडल आंसर को लेकर 50 से अधिक उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। लगातार यह देखने में आ रहा है कि वर्ष 2003 से लेकर अब तक पीएससी ने जितनी भी प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की है सभी में विवाद की स्थिति बनी हुई है। किसी में मॉडल आंसर को लेकर तो किसी में स्केलिंग को लेकर। रोहित शर्मा-वकील याचिकाकर्ता

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery