पंजीयन विभाग से प्रॉपर्टीज की जानकारी में हो रहे विलंब के चलते आयकर विभाग प्रॉपर्टी कारोबारी पीयूष गुप्ता “चूड़ीवाले’ के बेनामीदार नौकरशाह तक नहीं पहुंच पा रहा है। अब आयकर विभाग केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) व मप्र सरकार से पंजीयन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की शिकायत करने जा रहा है। आयकर विभाग ने मई में पीयूष गुप्ता से जुड़ी करीब 100 प्रॉपर्टीज की जानकारी पंजीयन विभाग से मांगी थी। इसमें खरीदार-विक्रेताओं के साथ सभी गवाहों के पेन और आधार नंबर समेत पहचान पत्र के लिए जिन दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया गया वे सभी मांगे गए थे। रजिस्ट्री कराने वाले वेंडर और वकील कौन थे? इस प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए ई-स्टांप या फिर पुरानी व्यवस्था में स्टांप खरीदने के लिए भुगतान किन खातों के जरिए किया गया? लेकिन अभी तक जानकारी नहीं दी गई। अायकर विभाग पंजीयन विभाग पर कार्रवाई करने का विकल्प ढूंढ रहा है।
इतनी देर क्यों... 15 दिन में दी जा सकती हैं जानकारी
सूत्रों ने बताया कि अमूमन पंजीयन विभाग किसी प्रॉपर्टी की जानकारी देने में इतना विलंब नहीं करता। महज 10-15 दिनों में यह जानकारियां दे दी जाती हैं। सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग खुद पंजीयन विभाग को आयकर अधिनियम 131 के तहत समन जारी करके जानकारी मांग सकता है। आयकर विभाग को पीयूष के पास से 100 रजिस्ट्री मिलीं थी। ये रजिस्ट्री उसने अपने सहयोगी महेंद्र गोधा, विनीत जैन, पंडित राजाबाबू दुबे, शाकिब रकीब और अन्य लोगों के नाम से करवा रखी थी। इनमें एक दर्जन से अधिक बड़ी कृषि भूमि, आवासीय प्लॉट, फ्लैट,घर और होटल्स शामिल हैं।
500 करोड़ नहीं, मेरे पास 35 करोड़ की प्रॉपर्टी
पिछले हफ्ते आयकर छापों से चर्चा में आए प्रॉपर्टी कारोबारी पीयूष गुप्ता से दैनिक भास्कर ने किए सवाल-
आपने किस रिटायर अधिकारी का पैसा प्रॉपर्टी में लगाया?
मैं किसी रिटायर अधिकारी को नहीं जानता। यह सारा पैसा मेरा है। 50 सालों से चूडिय़ों का पुश्तैनी थोक कारोबार है। हमने इसी से पैसा बनाकर प्रॉपर्टी खरीदी।
कहा जा रहा है कि आपके पास 500 करोड़ की प्रॉपर्टी है?
यह तो मजाक है। आयकर विभाग ने भी मेरी प्रॉपर्टी का मूल्यांकन 60 करोड़ रुपए किया है। लेकिन मैं मानता हूं कि यह प्रॉपर्टी 35 करोड़ की ही है।
आपके नौकरों का कहना है कि आपने धोखे में रखकर उनके नाम प्रॉपर्टी खरीदी?
देखिए मैंने उन्हें पावर ऑफ एटॉर्नी देकर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के लिए भेजा। मैंने उन्हें अपने कारोबार में साझीदार बनाया। एक निश्चित हिस्सा उनको दिया।
आप अधिकारियों का नाम बताकर खुद को क्यों नहीं बचा रहे?
मैं अपनी प्रॉपर्टी किसी और की क्यों बता दूं। हमें हमारे वकील ने धोखा दिया। वह पंजीयन विभाग और आयकर विभाग के लिए दलाली का काम करता है।
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