भाजपा नेतृत्व पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप से शुरू हुई लड़ाई अब नेताओं के बीच व्यक्तिगत विवाद में बदल गई है। वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी पर एक टीवी डिबेट में दिए बयान के बाद हमला बोला है। उपासने ने कहा कि जोगी शासन में सुंदरानी ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने और कार्यकर्ताओं ने मिलकर विधायक बनाया। सुंदरानी ने पलटवार किया कि उपासने व छगन मुंदड़ा ने इस्तीफा देने के लिए कहा था। उपासने जो आरोप लगा रहे हैं, उसे साबित कर दें तो वे इस्तीफा दे देंगे।
प्रदेश प्रवक्ता व संघ परिवार से जुड़े उपासने ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुंदरानी को जवाब दिया है। उपासने ने कहा है कि सुंदरानी से यह अपेक्षा नहीं थी कि वे सार्वजनिक रूप से उनकी माता, बड़े भाई और पूरे परिवार के बारे में बोलें। उनकी माता रजनीताई ने ही सुंदरानी को उंगली पकड़ कर राजनीति सिखाई। उनके परिवार ने पार्टी से कभी अपेक्षा नहीं रखी, लेकिन अन्याय बर्दाश्त नहीं किया। आपातकाल में भी उपासने परिवार ने अन्याय के खिलाफ 21 माह लड़ाई लड़ी। शहर की पहली महिला विधायक बनीं ताई ने ढाई साल विधायक रहते हुए कोई व्यापार नहीं किया। किसी बेटे को नौकरी नहीं लगाई, बल्कि रिक्शे में घूमकर ही जनता के काम करती थी। केंद्रीय निर्णय के बाद जब सभी विधायकों को जो सरकार भंग के समय थे, टिकट देनी थी तब भी ताईजी को स्थानीय नेतृत्व ने गुटबाजी के तहत टिकट नहीं दिया, वह अन्याय भी उन्होंने सहकर पार्टी का जब तक शरीर ने साथ दिया काम किया। अटल जी ने भी इस अन्याय को माना था। बड़े भैया ने राजनीतिक टेके से नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा से जगह बनाई। उपासने ने कहा है कि उन्हें भी निश्चित ही पार्टी ने बहुत कुछ देना चाहा, लेकिन सब पब्लिक व कार्यकर्ता जानते हैं। सुंदरानी ने विपरीत समय में पार्टी ही छोड़ दी थी। सुंदरानी उनकी व कार्यकर्ताओं की वजह से विधायक बने।
पूर्व विधायक श्रीचंद ने कहा कि उन्होंने टीवी डिबेट में उपासने या उनके परिवार पर कोई भी आरोप नहीं लगाया है। उन्होंने उपासने की माता रजनीताई या बड़े भैया के बारे में कोई आरोप नहीं लगाया, बल्कि तारीफ की है। यह कहा था कि पार्टी ने उपासने परिवार को पूरा सम्मान दिया था। उपासने ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की बात कही तो उन्होंने यह बात पार्टी फोरम में रखने का आग्रह किया था। कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर भागने के आरोप पर सुंदरानी ने कहा कि यह झूठा और बेबुनियाद है। वे कभी भागे नहीं, न ही पार्टी छोड़ी थी। जोगी शासन में उनके विरुद्ध पांच केस दर्ज किए गए थे। चार दिनों के लिए चैंबर के 125 साथियों के साथ जेल गए थे। पूरे प्रदेश को पता है कि जोगी सरकार के खिलाफ उन्होंने किस तरह लड़ाई लड़ी थी। उपासने और छगन मुंदड़ा ने घर आकर कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। वे कोषाध्यक्ष के अलावा कोई दूसरी जिम्मेदारी मांग रहे थे। सुंदरानी ने कहा कि पूरे कार्यकाल वे कार्यसमिति में साथ रहे। यदि उपासने यह साबित कर दें कि उन्होंने पार्टी छोड़ी थी तो वे हमेशा के लिए अपने आप को राजनीति से अलग कर लेंगे। सुंदरानी ने कहा कि डिबेट में एक भी बात बुरी लगी हो तो वे खेद जताते हैं, लेकिन उपासने ने उन पर जो आरोप लगाए हैं, वे घोर आपत्तिजनक और निंदनीय है। इसके लिए खेद व्यक्त करने कहा है।
Comment Now