Thursday, 22nd May 2025

पेंशन फंड मैनेजर्स के फीस में होगी वृद्धि! जानें PFM और ग्राहकों को कैसे होगा फायदा

Tue, Aug 18, 2020 10:47 PM

साल 2016 में रिक्‍वेस्‍ट फॉर प्रपोजल (RFP) में पेंशन फंड मैनेजर (PFM) की फीस मौजूदा 0.01% से बढ़ाकर 0.1% करने की बात की गई थी. हालांकि, पेंशन फंड (Pension Fund) में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को लेकर स्‍पष्‍टता नहीं होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था

देश के सभी पेंशन फंड मैनेजर्स (PFM) काफी समय से असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) पर सालाना मिलने वाले शुल्‍क में वृद्धि की मांग कर रहे थे. अब पेंशन फंड रेग्‍युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने साफ किया है कि नए लाइसेंस जारी होने के बाद पेंशन फंड मैनेजर्स की फीस में बढ़ोतरी (Fees Hike) की जा सकती है. इस समय पेंशन फंड मैनेजर्स को सालाना एयूएम का 0.01 फीसदी शुल्‍क ही मिलता है.

पीएफआरडीए ने कहा, अब जारी किए जाएंगे स्‍थायी लाइसेंस
पीएफआरडीए ने 13 अगस्‍त को जारी सकुर्लर में साफ कर दिया है कि अब मौजूदा व्‍यवस्‍था के तहत पांच साल के लिए लाइसेंस जारी ना करके स्‍थायी लाइसेंस (Permanent Licenses) जारी किए जाएंगे. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि फीस 0.1 फीसदी से ऊपर रखी जा सकती है. एसबीआई पेंशन फंड्स (SBI Pension Funds) के प्रबंधन निदेशक व मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (MD & CEO) नारायणन सदानंदन ने उम्‍मीद जताई कि पीएफआरडीए रिक्‍वेस्‍ट फॉर प्रपोजल्‍स (RFPs) के अगे राउंड के बाद पेंशन फंड मैनेजर्स की फीस तय कर सकता है.

0.1 से 0.25% के बीच तय की जा सकती है पीएफएम फीस
सदानंदन ने उम्‍मीद जताई कि पीएफआरडीए पेंशन फंड मैनेजर फीस 0.1 फीसदी से 0.25 फीसदी के बीच कुछ भी तय कर सकता है. अगर नियामक फीस 10 आधार अंकों से नीचे रखता है तो कोई फायदा नहीं होगा. दरअसल, इतना कम शुल्‍क इस सेक्‍टर के लिए ना तो व्‍यवहारिक है और न ही इससे इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर व नियामकीय लागत (Regulatory Cost) निकल पा रही है. एक अन्‍य पेंशन फंड के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि पिछली बार पूरी हुई यिामकीय प्रक्रिया में पीएफएम की फीस बढ़ाकर 0.1 फीसदी की जानी थी. हालांकि, तब ऐसा नहीं किया गया.

FDI नियमों में अस्‍पष्‍टता के कारण नहीं बढ़ी थी फीस
अधिकारी ने कहा कि इस बार फीस 0.15-0.20 फीसदी के बीच किए जाने की उम्‍मीद है. बता दें कि इससे पहले साल 2016 में रिक्‍वेस्‍ट फॉर प्रपोजल्‍स में पेंशन फंड मैनेजर की फीस मौजूदा 0.01% से बढ़ाकर 0.1% करने की बात की गई थी. हालांकि, पेंशन फंड में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को लेकर स्‍पष्‍टता नहीं होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था. अब पेंशन फंड में एफडीआई नियमों को लेकर काफी स्‍पष्‍टता आ चुकी है. ऐसे में पीएफएम के शुल्‍क में बढ़ोतरी की उम्‍मीद की जा रही है.

क्‍यों जरूरी है पेंशन फंड मैनेजर्स के शुल्‍क में बढ़ोतरी
मर्सर (Mercer) में इंडिया बिजनेस लीडर-इंवेसटमेंट्स अमित गोपाल ने बताया कि पेंशन फंड मैनेजर के शुल्‍क में बढ़ोतरी की जानी क्‍यों जरूरी है. उन्‍होंने कहा कि पेंशन फंड मैनेजर्स को निवेश के लिए ज्‍यादा पूंजी की दरकार होती है. उनकी ये जरूरत मौजूदा शुल्‍क से ज्‍यादा मिलने पर ही पूरी हो सकती है. अगर पीएफएम के शुल्‍क में थोड़ी वृद्धि की जाती है तो ये निवेशकों के हित में होगी. साथ ही ये मामूली वृद्धि फंड मैनेजर्स को लंबे समय तक बाजार में बने रहने में मदद करेगी. ये भी ध्‍यान रखना होगा कि पेंशन फंड मैनेजर्स पैसिव फंड्स तैयार नहीं करते हैं बल्कि वे सक्रिय रहकर स्‍टॉक्‍स का चुनाव करते हैं.

म्‍यूचुअल फंड और इंश्‍योरेंस पॉलिसी से बेहतर कैसे
पीएफएम फीस के अलावा एनपीएस में कस्‍टोडियन, सीआरए और प्‍वाइंट ऑफ प्रेजेंस चार्जेज भी होते हैं, जिनका बीच की कड़ियों को भुगतान किया जाता है. अगर पेंशन फंड मैनेजर्स की फीस के साथ इन सभी शुल्‍क को जोड़ दिया जाए तो भी पेंशन फंड म्‍यूचुअल फंड और इंश्‍योरेंस कंपनियों के प्रोडक्‍ट्स के मुकाबले उपभोक्‍ताओं के लिए ज्‍यादा फायदेमंद साबित होंगे. म्‍यूचुअल फंड का खर्च अनुपात (Expense Ratio) 2.25 फीसदी है, जो पीएफएम से 225 गुना ज्‍यादा है.इंश्‍योरेंस पॉलिसीज में भी खर्च पीएफएम के मुकाबले ज्‍यादा है. उदाहर के लिए यूनिट लिंक्‍ड इंश्‍योरेंस प्‍लान (Ulips) में फंड मैजमेंट चार्च 1.35 फीसदी होता है. इसके बाद इसमें प्रीमियम एलोकेशन चार्ज, डिस्‍काउंट चार्ज और मॉर्टेलिटी चार्ज अलग से वसूले जाते हैं.

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