Sunday, 25th May 2025

सुशांत के समर्थन में करणी सेना ने निकाला कैंडल मार्च, पुलिस ने चार नेताओं को किया गिरफ्तार

Mon, Aug 17, 2020 4:45 AM

रविवार शाम दिल्ली के इंडिया गेट (India Gate) के पास करणी सेना (Karni Sena) ने फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के समर्थन में कैंडल मार्च कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का नेतृत्व करणी सेना के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट सूरज पाल अम्मू (Suraj Pal Ammu) और दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष धर्मपाल राजपूत द्वारा किया गया था. इन दोनों के साथ करीब दो दर्जन समर्थक भी कैंडल मार्च कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. इन लोगों ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की सीबीआई से जांच और जल्द कार्रवाई की मांग के लिए कैंडल मार्च का आयोजन किया था.

करणी सेना के पास इंडिया गेट के आसपास विरोध-प्रदर्शन करने का आदेश नहीं था. जैसे ही करीब दो दर्जन लोग पटियाला हाउस कोर्ट के पास पुराना किला रोड तक पहुंचे, उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी. यह देख वहां तैनात दिल्ली पुलिस ने एहतियातन करणी सेना के चार प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने करणी सेना के जिन चार नेताओं को गिरफ्तार किया है उनके नाम- सूरज पाल अम्मू, बादल तंवर, धर्मपाल राजपूत और मनीष सिंह राजपूत है.

तिलक मार्ग थाने में करणी सेना के चार नेताओं पर केस दर्ज
दिल्ली पुलिस ने तिलक मार्ग थाने में करणी नेता के चारों नेताओ समेत कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. हालांकि जमानती धाराओं में केस दर्ज होने की वजह से थाने से ही चारों लोगों को जमानत पर छोड़ दिया गया. लेकिन इस मामले में बाद में कोर्ट में सुनवाई होगी.
सुशांत मामले में करणी सेना ने स्पष्ट तौर पर बयान देते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की सीबीआई से निष्पक्ष जांच हो. साथ ही इस वारदात में जो भी लोग शामिल हों उनकी भी जांच कराकर ठोस कार्रवाई हो.

कौन हैं करणी सेना के अध्यक्ष सूरज पाल अम्मू?

मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले सूरल पाल अम्मू करणी सेना के ऑल इंडिया अध्यक्ष हैं. वो तब अचानक काफी सुर्खियों में आ गए थे जब निर्माता-निदेशक संजय लीला भंसाली द्वारा रानी पद्मावती के जीवन पर आधारित हिंदी फिल्म का निर्माण किया था. इस फिल्म का राजस्थान, हरियाणा सहित देश के अन्य शहरों में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुआ था. अम्मू ने आरोप लगाया था कि इस फिल्म में राजपूत जाति और रानी पद्मावती की छवि को एक मुस्लिम शासक के सामने गलत तरीके से दिखाया गया है.

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