भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकारियों के एक अध्ययन में कहा गया है कि मीडिया अक्सर केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) संबंधी घोषणाओं से पहले माहौल का सही अंदाज लगा लेता है. केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले कई मीडिया संगठन विशेषज्ञों के विश्लेषण और बीते दिनों के महत्वपूर्ण व्यापक आर्थिक संकेतकों के उतार-चढ़ाव के आधार पर नीतिगत कार्रवाई का अंदाज लगाते हैं.
आरबीआई के सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (DSIM) के वृहद डेटा विश्लेषण प्रभाग की गीता गिद्दी और श्वेता कुमारी द्वारा लिखे गए लेख ‘मीडिया में नीतिगत दरों के अनुमान’ में कहा गया है, ‘‘यह पाया गया है कि कुछ मौकों को छोड़कर (मीडिया के) अनुमान नीतिगत दरों पर निर्णय के अनुरूप थे.’’
इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंटी मीडिया की भूमिक महत्वपूर्ण
लेख में कहा गया है कि इसमें व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और ये आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. लेख में कहा गया है कि बाजार अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंक के संचार का महत्व बढ़ने के साथ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हुई हैं.
इसमें कहा गया है कि मीडिया आम जनता तक समाचारों को उनकी भाषा में पहुंचाने का काम करता है. इसके साथ ही वह विभिन्न आर्थिक एजेंटों के जरिये अवधारणाओं, चिंताओं और उनके विचारों को नीति निर्माताओं तक सीधे अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पहुंचाने का काम भी करता है.
साढ़े चार साल के दैनिक समाचारों का विश्लेषण
इस अध्ययन में जिन समाचार लेखों का इस्तेमाल किया गया है उन्हें एक मीडिया आसूचना कंपनी से लिया गया है. इसमें अप्रैल 2015 से दिसंबर 2019 के बीच नीतिगत दर से संबंधित दैनिक समाचारों को देखा गया है. अप्रैल 2015 इस लिये चुना गया कि तब से ही देश में मुद्रास्फीति का लचीला लक्ष्य रखने की व्यवस्था शुरू हुई थी.
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