मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 27 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस (Congress) ने एक नया नारा दिया है. कांग्रेस ने 'बिकाऊ नहीं टिकाऊ चाहिए, फिर से कमलनाथ चाहिए' का नारा दिया है. वहीं, कांग्रेस के इस नारे पर अब प्रदेश में सियासत छिड़ गई है. बीजेपी ने कांग्रेस के नारा देने पर करारा जवाब देते हुए कहा है कि उपचुनाव में उम्मीदवार उतारने के लिए कांग्रेस पार्टी को चेहरे नहीं मिल रहे हैं. जिस कांग्रेस पार्टी का वजूद खत्म हो रहा हो उसका नारा कितना असरदार होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी (BJP) में शामिल हुए सिंधिया समर्थक कैबिनेट मिनिस्टर गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) ने कहा है कि कांग्रेस की हालत बहुत खराब है. उपचुनाव में उतारने के लिए कांग्रेस पार्टी को उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं. और ऐसे में कांग्रेस का नारा कांग्रेस पर ही भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
वहीं, कांग्रेस ने अब इस नारे को 27 विधानसभा सीटों वाले इलाकों में भुनाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस पार्टी ने इसको लेकर पहले से तैयार मास्क उपचुनाव वाले क्षेत्रों में पहुंचाना शुरू कर दिया है, जिस पर लिखा है कि बिकाऊ नहीं टिकाऊ चाहिए, फिर से चाहिए कमलनाथ. दरअसल, प्रदेश के 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 25 सीटें ऐसी हैं, जहां पर कांग्रेस के विधायकों ने दल बदल कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. जबकि, कांग्रेस दल बदलने वाले विधायकों पर बिकने का आरोप लगा रही है और इन्हीं आरोपों के सहारे कांग्रेस पार्टी उप चुनाव के समर उतरने की तैयारी में है.
जनता सब जानती है
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने कहा कि यह पूरी प्रदेश की जनता जानती है कि कांग्रेस विधायकों ने दल बदल कर बीजेपी में शामिल होने का काम किया है. हर एक विधायक ने दल बदलने के लिए करोड़ों रुपए की कीमत लगाई है. ऐसे में जनता को उन चेहरों को बेनकाब करने के लिए कांग्रेस पार्टी इसी नारे के सहारे चुनावी दंगल में उतरने का काम करेगी. वहीं, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी और बीएसपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं के दल बदलने बीजेपी के सवालों पर कहा है कि जो बीजेपी में गए थे वह मूल रूप से कांग्रेसी थे और उनकी घर वापसी से उन्हें बिकाऊ नहीं कहा जा सकता. लेकिन जो जनता के वोट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे उन्होंने जनता के वोट का अपमान किया है और कांग्रेस पार्टी जनता के इसी अपमान के सहारे उपचुनाव में दल बदलने वालों को घेरने का काम करेगी.
चुनाव से पहले दल बदलने की परंपरा पुरानी
दरअसल, किसी भी चुनाव से पहले दल बदलने की परंपरा पुरानी है. लेकिन 2018 के चुनाव में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस खेमे से 25 विधायकों के दल बदलने का यह पहला मौका रहा है और विधायकों के दल बदलने के कारण कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई है.अब कांग्रेस पार्टी ने इसी मुद्दे के सहारे दल बदलने वाले चेहरों की घेराबंदी करने का प्लान बनाया है, जिसको लेकर अब प्रदेश की सियासत गर्म होती हुई नजर आ रही है.
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