जेपी अस्पताल (Jaypee Hospital) में मरीजों के लिए बड़ी सुविधा शुरू हो गई है. मंगलवार से यहां सेंट्रल पैथोलॉजी लैब (Central Pathology Lab) को शुरू कर दिया गया. लैब शुरू होने के बाद अब अस्पताल में मरीजों को 100 तरह की जांचें की जा सकेंगी. अब तक अस्पताल में 48 तरह की जांचें ही हो रही थीं. मरीजों के लिए ये सभी जांचे पूरी तरह से निशुल्क रहेंगी. जानकारी के मुताबिक, लैब में जांच के लिए 6 ऑटोमेटिक मशीने लगाई गई हैं. नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड पर लैबोरेट्रीज (NABL) से मान्यता प्राप्त इन मशीनों में सैंपल लेने के बाद पूरा काम मशीनों से किया जाएगा. ऐसे में जांच में किसी तरह गलती की आशंका नहीं रहेगी.
लैब में हो रही जांचों की गुणवत्ता को समय-समय पर परखा जाएगा. इसके लिए तीन स्तर की जांच प्रणाली तैयार की गई है. हर 6 महीने में मशीनों को मापांकन (कैलिब्रेशन) कराया जाएगा. दूसरा, एम्स दिल्ली और अन्य संस्थानों सैंपल लाकर जेपी में जांच कराए जाएंगे. वहीं तीसरा, लैब में जांचे गए कुछ सैंपलों की दूसरी लैब में जांच कराई जाएगी. सभी जांचें अभी की तरह मुफ्त रहेंगी और रिपोर्ट भी मरीजों के मोबाइल पर फॉरवर्ड की जाएगी. अधिकारियों के मुताबिक, सरकार पर भी कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आएगा, बल्कि खर्च कम हो जाएगा. खर्च कम होने की वजह ये है कि सरकार को न मशीनें खरीदना पड़ेंगी और न ही रीएजेंट्स. मशीनों की मरम्मत भी कंपनी खुद कराएगी. मौजूदा लैब टेक्नीशियन और अन्य कर्मचारियों को पीपीपी से बनने वाली लैब में पदस्थ किया जाएगा.
ये जरूरी जांचें भी हो सकेंगी
-एचबीए1सी- डायबिटीज की जांच
-थायराइड- टी3, टी4 व टीएसएच हामोज़्न की जांच
-विटामिन डी व विटामिन बी12 और विटामिन की कमी पता करने के लिए
-टॉर्च टेस्ट- बार-बार गर्भपात होने पर की जाने वाली जांच
-सीपीके एमबी, हार्ट की जांच
-एलडीएच, मांसपेशियों की बीमारी से जुड़ा टेस्ट
-हीमोफीलिया और थैलासीमिया की जांच
अभी कहां कितनी जांचे होती हैं
जिला अस्पताल- 48
सिविल अस्पताल- 32
सीएचसी - 28
ये होगा फायदा
-मरीजों की जांच अत्याधुनिक मशीनों से होगी, जिससे गुणवत्ता बेहतर रहेगी.
-जांच के लिए 5 पार्ट एनालाइजर लगाए जाएंगे जो सबसे ज्यादा आधुनिक हैं.
-मरीजों को कंप्यूराइज रिपोर्ट तय समय पर मिल जाएगी.
-ऑनलाइन रिपोर्ट लेने की सुविधा भी रहेगी
-सभी जांचें एक जगह पर हो जाएंगी.
अभी ये दिक्कत थी
- जांच के लिए सेमी ऑटो एनालाइजर उपयोग किए जा रहे हैं. इसमें कुछ काम मैन्युअल होता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है. समय भी ज्यादा लगता है.
- मरीजों को अलग-अलग जांचों के लिए कई बार ब्लड देना पड़ता है.
- जांच के लिए तीन बार कतार में लगना पड़ता है. एक बार पर्चे पर नंबर चढ़वाने के लिए, फिर सैंपल देने के लिए और बाद में रिपोर्ट लेने के लिए
- अभी कई बार जांच की क्वालिटी को लेकर सवाल उठते हैं. एक ही मरीज की जांच रिपोर्ट जिला अस्पताल में अलग और दूसरी लैब में अलग आती है.
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